गुजरात के अहमदाबाद में 56 पाकिस्तानी नागरिकों को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता मिलने का यह कदम दर्शाता है कि भारत अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को समझते हुए पीड़ित अल्पसंख्यकों को शरण और स्थायित्व प्रदान करने की दिशा में प्रयासरत है। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी द्वारा नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपने का यह कार्यक्रम केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उन परिवारों के लिए एक नई शुरुआत और सुरक्षा का प्रतीक है जो सालों से भारत को अपना घर मानते आ रहे हैं।
इस कार्यक्रम का एक विशेष पहलू हिशा कुमारी का उदाहरण है, जिनकी यात्रा प्रेरणादायक है। पाकिस्तान में जन्मी हिशा ने भारत में न केवल पढ़ाई पूरी की, बल्कि मेडिकल की पढ़ाई में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। यह इस बात का प्रमाण है कि सही अवसर और माहौल मिलने पर शरणार्थी भी समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। हिशा और उनके जैसे अन्य नागरिक अब भारत की मुख्यधारा का हिस्सा बनकर देश के विकास में योगदान करेंगे।
गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी के शब्द, “मुस्कुराइए, अब आप इस महान देश भारत के नागरिक हैं,” इस बात का संदेश देते हैं कि भारत अपने नागरिकों के लिए एक स्वागतयोग्य और समावेशी समाज बनाने की दिशा में प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम CAA के आलोचकों और समर्थकों के बीच एक महत्वपूर्ण संदर्भ भी है, जो इस कानून के व्यावहारिक लाभों को दिखाता है।
Gujarat Home Minister Harsh Sanghavi awarded Indian citizenship certificates to 56 Pakistani Hindus🔥🔥
Sanghavi said, “Smile! Because you are now citizens of India.”⚡️
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— Political Views (@PoliticalViewsO) December 11, 2024
हिशा भारत की नागरिकता मिलने पर कहती हैं- “मुझे मेरी पहचान लौटाने के लिए देश के पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह का आभार। ये नागरिकता मिलने के बाद मैं कहीं भी अप्लाई कर सकती हूँ।” उन्होंने नागरिकता मिलने पर अपने प्रमाण पत्र के साथ अपनी तस्वीर भी दिखाई और बोलीं कि भारत का नागरिक होने पर गर्व महसूस हो रहा है।
गौरतलब है कि साल 2017 से मार्च 2024 तक के बीच में मोदी सरकार 1167 पाकिस्तानी नागरिकों को भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र दे चुकी है और इन 55 लोगों को मिलाकर ये संख्या 1222 पहुँच गई है। राज्य गृहमंत्री हर्ष संघवी ने भी इस बाबत जानकारी दी कि पिछले छह महीनों में अकेले गुजरात में 50 से अधिक पाकिस्तानी हिंदुओं को यह प्रमाणपत्र मिला है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पहले इन लोगों को दिल्ली जाकर लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।