प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की गई यह मुलाकात, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पीओके में किए गए निर्णायक मिसाइल हमलों के बाद की एक संवैधानिक और रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण पहल है।
मुलाकात का मुख्य उद्देश्य:
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राष्ट्रपति को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देना, क्योंकि राष्ट्रपति भारत की संवैधानिक प्रमुख हैं और तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर भी।
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यह सूचना देना संवैधानिक परंपरा का हिस्सा है, विशेष रूप से ऐसे सैन्य अभियानों के बाद जिनका राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव हो सकता है।
Prime Minister Narendra Modi called on President Droupadi Murmu at Rashtrapati Bhavan and briefed her about #OperationSindoor pic.twitter.com/8EufmJNTos
— ANI (@ANI) May 7, 2025
ऑपरेशन सिंदूर के निशाने:
आतंकी संगठन | ठिकाना | स्थान |
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जैश-ए-मोहम्मद (JeM) | मुख्यालय | बहावलपुर, पाकिस्तान |
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) | ऑपरेशनल अड्डा | मुरीदके, पाकिस्तान |
हमले की टाइमलाइन:
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22 अप्रैल 2025: पहलगाम में आतंकी हमला, 26 निर्दोष नागरिक मारे गए
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6-7 मई 2025 की रात: भारतीय वायुसेना और मिसाइल रेजीमेंट द्वारा सटीक निर्देशित हमले
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7 मई सुबह: प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्रपति मुर्मू से भेंट
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7 मई दोपहर: गृहमंत्री अमित शाह की सीमावर्ती राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों से आपात बैठक
रणनीतिक संदेश इस मुलाकात से:
बिंदु | अर्थ |
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राष्ट्रपति को अवगत कराना | भारत में सैन्य कार्रवाई की संवैधानिक पारदर्शिता और जवाबदेही |
पीएम-राष्ट्रपति समन्वय | इस कार्रवाई को राष्ट्रीय स्तर की सहमति और समर्थन प्राप्त है |
अंतर्राष्ट्रीय संकेत | भारत यह दिखाना चाहता है कि उसकी कार्रवाई आंतरिक सहमति और उचित प्रक्रिया से संचालित है, न कि कोई “रेंडम स्ट्राइक” |
लोकतांत्रिक मूल्यांकन | सेना के निर्णय और कार्रवाई राजनीतिक नेतृत्व और संवैधानिक प्रणाली के तहत हैं |
अगला कदम क्या हो सकता है?
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प्रधानमंत्री मोदी सर्वदलीय बैठक बुला सकते हैं (यदि हालात और गंभीर होते हैं)
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भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर औपचारिक बयान दिया जा सकता है
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संसद सत्र या विशेष बहस भी संभावित हो सकती है, जिसमें सरकार कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा देगी
प्रधानमंत्री की यह राष्ट्रपति से मुलाकात एक तरफ जहां संवैधानिक परंपराओं का पालन है, वहीं दूसरी ओर यह एक सख्त रणनीतिक संदेश भी है — कि भारत अब न केवल जवाब देता है, बल्कि संविधानिक तरीके से, निर्णायक और एकजुट होकर देता है।