कौन हैं प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद?
- पूरा नाम: अली खान महमूदाबाद
- जन्म: 1982
- पद: एसोसिएट प्रोफेसर, पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट, अशोका यूनिवर्सिटी, सोनीपत (हरियाणा)
- पारिवारिक पृष्ठभूमि:
- उत्तर प्रदेश की महमूदाबाद रियासत के शाही खानदान से संबंध।
- पिता: मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान, जिन्हें राजा साहेब महमूदाबाद कहा जाता था।
- दादा: मोहम्मद आमिर अहमद खान – ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के वरिष्ठ नेता और जिन्ना के करीबी।
- शिक्षा:
- लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा।
- दमिश्क यूनिवर्सिटी, सीरिया से अरबी भाषा में शिक्षा प्राप्त की।
- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से भी उच्च शिक्षा प्राप्त की है।
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ विवाद और प्रोफेसर का मामला?
- भारतीय सेना के एक ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अली खान महमूदाबाद ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया था।
- उनका दावा था कि पोस्ट देशभक्ति से प्रेरित था, लेकिन सोशल मीडिया और कुछ शिकायतकर्ताओं ने इसे सेना के अपमान और देशविरोधी करार दिया।
- मामला पुलिस तक पहुंचा और FIR दर्ज हुई, जिसके बाद प्रोफेसर को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
- प्रोफेसर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए।
- सिब्बल ने कहा:
“यह बयान सेना के खिलाफ नहीं था, बल्कि देश के हित में था, और प्रोफेसर ने इसे ‘जय हिंद’ के साथ खत्म किया था।”
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा:
- “हर व्यक्ति को बोलने का अधिकार है, लेकिन ऐसे संवेदनशील समय में इस तरह का बयान देना क्या लोकप्रियता पाने की कोशिश नहीं है?”
- “प्रोफेसर एक पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं, उन्हें सम्मानजनक भाषा में बात करनी चाहिए।”
कोर्ट का फैसला:
- प्रोफेसर को अंतरिम जमानत मिली।
- हरियाणा के DGP को निर्देश:
- 3 सदस्यीय SIT गठित करें, जिसमें एक महिला IPS अधिकारी हो।
- प्रोफेसर को निर्देश:
- पासपोर्ट सरेंडर करें।
- सोशल मीडिया या पब्लिक में आगे कोई विवादित बयान न दें।
- जांच में पूरा सहयोग करें।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
पहलू | कारण |
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अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा | कोर्ट को तय करना है कि क्या यह बयान वैचारिक स्वतंत्रता है या राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर हमला |
शिक्षा संस्थानों में वैचारिक मतभेद | यह मामला दिखाता है कि शैक्षणिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक ज़िम्मेदारी में संतुलन कितना जरूरी है |
कानूनी प्रक्रिया का पालन | कोर्ट ने जमानत दी, लेकिन जांच पर रोक नहीं लगाई – एक संतुलित रुख |