भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची भारत के दौरे पर आए हैं। अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आप ऐसे समय में भारत आए हैं, जब हम 22 अप्रैल को भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में हुए बर्बर हमले का जवाब दे रहे हैं। इस हमले ने हमें 7 मई को सीमा पार आतंकवादी ढांचे पर हमला करके जवाब देने के लिए मजबूर किया।
एस जयशंकर ने आगे कहा, “हमारी प्रतिक्रिया लक्षित और नपी-तुली थी। हमारा इरादा स्थिति को और खराब करने का नहीं है। हालांकि, अगर हम पर सैन्य हमला होता है, तो इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि इसका बहुत ही सख्त जवाब दिया जाएगा। एक पड़ोसी और करीबी साझेदार के रूप में यह महत्वपूर्ण है कि आपको स्थिति की अच्छी समझ हो।”
My opening remarks at the 20th India-Iran Joint Commission Meeting.
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— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 8, 2025
भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंध: 75वीं वर्षगांठ और संयुक्त आयोग
🔹 मुख्य बिंदु | 🔸 विवरण |
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चाबहार पोर्ट सहयोग | ईरान भारत के लिए मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंच का रणनीतिक मार्ग है। यह दौरा चाबहार समझौतों की प्रगति के लिहाज से भी अहम है। |
संयुक्त आयोग बैठक | 20वीं भारत-ईरान संयुक्त आयोग की सह-अध्यक्षता के तहत ऊर्जा, व्यापार, ट्रांजिट, कनेक्टिविटी, रक्षा सहयोग पर चर्चा हुई। |
राजनयिक 75वीं वर्षगांठ | यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर हो रही है — यह राजनयिक साझेदारी के नए चरण की शुरुआत है। |
क्षेत्रीय रणनीति: भारत, ईरान और पाकिस्तान
🔹 पहलू | 🔸 स्थिति |
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ईरान का भूराजनीतिक महत्व | पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा से सटा होने के कारण ईरान इस क्षेत्र में स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग में भारत का संभावित साझेदार है। |
भारत की रणनीति | जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत स्थिति को “बिगाड़ना” नहीं चाहता, लेकिन वह आतंकवाद के खिलाफ “प्रमाणिक और निर्णायक” रहेगा — यह ईरान के लिए एक राजनयिक सिग्नल भी है। |
ईरान की भूमिका | ईरान भारत के साथ खड़ा रहे, खासकर पाकिस्तान के संदर्भ में, यह संदेश subtly इस यात्रा में निहित है। |
भविष्य की दिशा: ऊर्जा, ट्रांजिट और सामरिक साझेदारी
🔹 पहलू | 🔸 संभावनाएं |
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ऊर्जा सहयोग | भारत-ईरान तेल व्यापार और गैस परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम कर सकते हैं। |
INSTC (International North-South Transport Corridor) | चाबहार पोर्ट के ज़रिए भारत-ईरान-रूस को जोड़ने वाला यह कॉरिडोर चीन के BRI का वैकल्पिक मॉडल बन सकता है। |
रक्षा-सुरक्षा सहयोग | हालिया तनाव को देखते हुए सूचना साझा करने, सीमा सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग में प्रगति हो सकती है। |
निष्कर्ष: एक रणनीतिक और संतुलित संदेश
विदेश मंत्री जयशंकर ने ईरान को एक स्पष्ट और संतुलित संदेश दिया:
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हम जवाबी हमले करते हैं, लेकिन अस्थिरता नहीं फैलाते।
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हम मित्र हैं, लेकिन रणनीति भी है।