विद्या भारती के पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का शुभारंभ
मंगलवार को भोपाल, मध्य प्रदेश में विद्या भारती द्वारा आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 का विधिवत शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने अपने उद्घाटन उद्बोधन में शिक्षा, समाज परिवर्तन और तकनीक के मानवीय उपयोग पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
मुख्य बिंदु:
✅ विद्या भारती केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
✅ शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करना चाहिए।
✅ परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उसकी दिशा सही हो।
✅ विश्व आज भारत की ओर देख रहा है, और भारत को मानवता को सही दिशा देने में अपनी भूमिका निभानी होगी।
शिक्षा के व्यापक दृष्टिकोण पर बल
🔹 विद्या भारती विचारों के अनुरूप शिक्षा का केंद्र – यह केवल पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा नहीं देता, बल्कि नैतिकता, संस्कृति और राष्ट्रवाद को भी प्रोत्साहित करता है।
🔹 शिक्षा का कार्य ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना होना चाहिए।
🔹 समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक और मानसिक विकास आवश्यक है।
तकनीक के मानवीय उपयोग पर विचार
📌 तकनीक के लिए एक मानवीय नीति आवश्यक है, जिससे आधुनिक विज्ञान समाज के कल्याण के लिए उपयोग किया जा सके।
📌 जो तकनीक सही है, उसे अपनाना चाहिए, और जो हानिकारक है, उसे छोड़ना होगा।
📌 विविधता में एकता बनाए रखते हुए भारत को अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखना होगा।
“सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं” – भारतीय दर्शन पर जोर
- समाज को जोड़ने की भारतीय संस्कृति को बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।
- प्रत्येक व्यक्ति समाज का अभिन्न अंग है, और उसे यह समझना चाहिए कि उसकी जिम्मेदारी केवल स्वयं तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज के प्रति भी है।
समाज परिवर्तन के लिए शिक्षा की भूमिका
📍 शिक्षा समाज में सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बने, केवल पाठ्यक्रम आधारित न रहकर जीवन में नैतिकता और संस्कारों को विकसित करे।
📍 विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को अपनाते हुए समाज सशक्तिकरण के लिए कार्यरत है।
📍 इस अभ्यास वर्ग में देशभर से 700 से अधिक कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित हैं, जो शिक्षा के माध्यम से समाज निर्माण की दिशा में कार्य करेंगे।
समाज के हर वर्ग तक शिक्षा पहुंचाने का संकल्प
- डॉ. भागवत ने कहा कि शिक्षा केवल एक वर्ग तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना आवश्यक है।
- हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना होगा जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं।
- विमर्श का स्वरूप रचनात्मक और सकारात्मक होना चाहिए ताकि समाज में सार्थक परिवर्तन लाया जा सके।
निष्कर्ष
विद्या भारती का यह अभ्यास वर्ग राष्ट्र निर्माण और समाज कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षा को संस्कारों और नैतिक मूल्यों से जोड़ते हुए, तकनीक के मानवीय उपयोग को प्रोत्साहित करने और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का संकल्प इस आयोजन की विशेषता रही।