प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कटरा से श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन किया और इस अवसर पर चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का भी लोकार्पण किया। इस ऐतिहासिक मौके पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान उमर अब्दुल्ला ने अपने भाषण में भावुक होते हुए कहा कि जब वे 7वीं या 8वीं कक्षा में थे, तभी से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पुल का काम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय शुरू हुआ था और उनका योगदान भुलाया नहीं जाना चाहिए।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने जब कटरा की रैली में भाषण दिया तो उन्होंने बड़ी ही चतुराई से उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी, जो राजनीतिक हलकों में ‘हल्की सी सुनाई’ के रूप में देखी गई। पीएम मोदी ने कहा, “मैंने कल उमर अब्दुल्ला जी का बयान सुना कि वे 7वीं-8वीं कक्षा में थे जब इस प्रोजेक्ट का सपना देखा गया था। आज जम्मू-कश्मीर के लाखों लोगों का सपना पूरा हुआ है। लेकिन ये भी हकीकत है कि जितने अच्छे काम हैं ना, वो मेरे ही लिए बाकी रह गए थे।” इस एक वाक्य में उन्होंने यह संकेत दे दिया कि तमाम परियोजनाएं जो दशकों से अधूरी पड़ी थीं, उन्हें पूरा करने का श्रेय अंततः उन्हें ही मिला। यह वाक्य उमर अब्दुल्ला के संदर्भ में एक व्यंग्य भी था कि अगर इतने सालों से इंतजार किया जा रहा था, तो पूर्ववर्ती सरकारें इन्हें क्यों नहीं पूरा कर पाईं?
अपने भाषण में पीएम मोदी ने चिनाब ब्रिज की भव्यता और इंजीनियरिंग कौशल की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जैसे पैरिस में लोग एफिल टावर देखने जाते हैं, वैसे ही अब दुनिया के लोग कश्मीर आएंगे और चिनाब ब्रिज देखेंगे। यह ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है और निश्चित रूप से एक अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट डेस्टिनेशन और सेल्फी प्वाइंट बनेगा। उन्होंने यह भी बताया कि अंजी ब्रिज, जो भारत का पहला केबल-सपोर्टेड रेलवे ब्रिज है, भी इस क्षेत्र की शान बढ़ाता है। ये दोनों पुल सिर्फ ढांचे नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी शक्ति, हौसले और दूरदृष्टि के प्रतीक हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि ये ब्रिज भारत की ताकत की “सिंह गर्जना” हैं। पीर पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों पर खड़ा यह ब्रिज दिखाता है कि भारत का सपना जितना बड़ा है, उतना ही बुलंद उसका हौसला और सामर्थ्य है। उन्होंने अपने भाषण के अंत में यह भी दोहराया कि सबसे बड़ी बात यह है कि अब देश के पास नेक इरादा है, जो इन सपनों को साकार करने की असली ताकत है।
इस पूरे कार्यक्रम और पीएम मोदी के भाषण में न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने का संदेश था, बल्कि राजनीतिक तौर पर उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मौजूदा सरकार विकास कार्यों में सिर्फ घोषणा नहीं, बल्कि क्रियान्वयन की विश्वसनीयता के साथ आगे बढ़ रही है।