अमेरिका द्वारा भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट की पेशकश एक बड़ी रणनीतिक और सैन्य डील हो सकती है। लेकिन इस डील के पीछे कई जटिलताएँ और संभावनाएँ हैं।
इस डील के संभावित प्रभाव:
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भारत की वायु शक्ति में बड़ा उछाल: F-35 दुनिया का सबसे उन्नत स्टील्थ फाइटर जेट है, जो चीन और पाकिस्तान के J-20 या JF-17 जैसे विमानों से कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसका अधिग्रहण भारतीय वायुसेना (IAF) को पांचवीं पीढ़ी की क्षमताओं से लैस करेगा।
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रूसी S-400 और CAATSA का प्रभाव: भारत ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा है, जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। अगर भारत F-35 लेता है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) को लेकर क्या रुख अपनाता है।
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रक्षा सहयोग में नई ऊँचाई: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी हाल के वर्षों में बढ़ी है। भारत पहले से ही C-17, C-130J, Apache, Chinook और P-8I जैसे अमेरिकी रक्षा उपकरण इस्तेमाल कर रहा है। F-35 डील से दोनों देशों की सैन्य साझेदारी और मजबूत होगी।
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राफेल के साथ तालमेल: भारतीय वायुसेना पहले ही फ्रांस से राफेल जेट ले चुकी है। ऐसे में, यह देखना होगा कि IAF F-35 को अपनी रणनीति में कैसे फिट करता है और क्या यह AMCA (भारत का स्वदेशी 5th जनरेशन लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट) पर असर डालेगा।
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लागत और रखरखाव: F-35 का अधिग्रहण महंगा है, और इसका ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी काफी खर्चीला है। भारत को तय करना होगा कि क्या वह इस उच्च परिचालन लागत को वहन कर सकता है।
क्या भारत F-35 खरीदेगा?
F-35 एक गेमचेंजर हो सकता है, लेकिन भारत को पहले लॉजिस्टिक्स, लागत, और रणनीतिक साझेदारियों पर विचार करना होगा। अभी तक, भारत ने इस विमान को खरीदने की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन अगर यह डील आगे बढ़ती है, तो यह भारत के रक्षा परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकती है।