प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के गांधीनगर में आयोजित एक जनसभा में भारत की आतंकवाद के खिलाफ रणनीति, पाकिस्तान की भूमिका और हालिया सैन्य कार्रवाइयों को लेकर बेहद सशक्त और स्पष्ट संदेश दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण: मुख्य बिंदु
पाकिस्तान की रणनीति और भारत की प्रतिक्रिया
- “पाकिस्तान को युद्ध में हार का अहसास है”:
- 1947, 1965 और 1971 के युद्धों में भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को हराया।
- इसके बाद, पाकिस्तान ने सीधे युद्ध के बजाय प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) का रास्ता अपनाया – आतंकवादियों के माध्यम से भारत को नुकसान पहुंचाना।
- “क्या हमें अब भी सहना चाहिए?”:
- पीएम मोदी ने जनसभा से पूछा कि क्या हम अब भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंक को सहते रहें?
- जवाब में उन्होंने कहा, “गोली का जवाब गोली से, ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।”
ऑपरेशन सिंदूर और 6 मई की कार्रवाई
- “22 मिनट में 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त”:
- प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र किया, जिसमें 6 मई 2025 को आतंकवादियों के 9 ठिकानों को महज़ 22 मिनट में ध्वस्त किया गया।
- उन्होंने कहा, “इस बार कैमरे के सामने सबकुछ किया गया, ताकि कोई सबूत न मांगे।”
- “यह प्रॉक्सी वॉर नहीं, सीधा युद्ध है”:
- पीएम ने खुलासा किया कि जिन आतंकवादियों को मारा गया, उनके जनाजे को पाकिस्तान ने स्टेट ऑनर (राजकीय सम्मान) दिया।
- उनकी कॉफिन पर पाकिस्तानी झंडे थे, सेना ने उन्हें सैल्यूट किया।
- इससे साफ है कि ये सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि राज्य प्रायोजित लड़ाके थे।
भारत की विदेश नीति और सुरक्षा सिद्धांत
- “वसुधैव कुटुंबकम, लेकिन…”:
- भारत की विदेश नीति पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं।
- लेकिन जब कोई बार-बार भारत के सामर्थ्य को ललकारता है, तब यह देश वीरों की भूमि बन जाता है।
- “शांति चाहने का मतलब कमजोरी नहीं”:
- भारत अपने पड़ोसियों की भलाई चाहता है, लेकिन अगर हमला होगा, तो जवाब कठोर होगा।
रणनीतिक और राजनीतिक संदेश
बिंदु | संदेश |
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आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई | भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक नीति अपनाएगा |
सबूत की राजनीति | भविष्य में कोई “सबूत दिखाओ” कहे, उससे पहले ही कैमरे के प्रमाण |
पाकिस्तान की भूमिका | उसे अब प्रॉक्सी वॉर के बहाने नहीं मिलेंगे, यह सीधा युद्ध माना जाएगा |
जनता को संदेश | भारत अब मजबूती से जवाब देने वाला राष्ट्र बन गया है |
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण केवल एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि रक्षा नीति और कूटनीति का स्पष्ट संकेत है —
भारत अब सहनशीलता की नीति से आगे बढ़कर “निर्णायक प्रतिकार” की राह पर है।