पोखरण, 12 मार्च प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आजादी के बाद दशकों तक देश पर ‘‘शासन’’ करने वाले भारत की रक्षा के मामले में ‘‘गंभीर नहीं’’ थे और सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण से भी ‘‘डरते’’ थे।
राजस्थान के पोखरण में आयोजित भारत शक्ति अभ्यास में अपने संबोधन में मोदी ने बगैर किसी का नाम लिए विपक्ष पर निशाना साधा। मोदी ने कहा, ‘‘आजादी के बाद दुर्भाग्य रहा कि जिन्होंने दशकों तक देश पर शासन किया, वे देश की रक्षा के मामले में गंभीर नहीं थे।’’
उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी थी कि आजादी के बाद देश में सेना के लिए खरीद के बीच ‘‘पहला बड़ा घोटाला’’ हुआ।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 में पहली बार उनके नेतृत्व वाली सरकार में बदलाव आया और सशस्त्र बलों के कर्मियों के परिवारों को महसूस हुआ कि ‘‘मोदी की गारंटी’’ का क्या मतलब है।
उन्होंने ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) के मामले का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘चार दशकों तक सेना के जवानों के परिवारों से झूठ बोला गया’’, लेकिन मोदी ने इस योजना को लागू करने की गारंटी दी और इसे दृढ़ता से पूरा किया।
प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए पिछली सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘उन्होंने भारत को रक्षा जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर रखा।’’
उन्होंने भारत शक्ति अभ्यास का जिक्र करते हुए कहा कि पोखरण भारत की आत्मनिर्भरता, विश्वास और आत्म-गौरव का गवाह बन गया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पोखरण है, जिसने भारत की परमाणु शक्ति देखी है और आज यहां हम स्वदेशीकरण से सशक्तीकरण की ताकत भी देख रहे हैं।’’
इस अभ्यास के दौरान स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का करीब 50 मिनट तक समन्वित प्रदर्शन किया गया। ‘भारत शक्ति’ के दौरान, देश को आत्मनिर्भर बनाने की पहल के तहत स्वदेश में विकसित हथियार प्रणालियों की एक शृंखला प्रदर्शित की जा रही है।
एलसीए तेजस, एएलएच एमके-चार, एलसीएच प्रचंड, धनुष, के9 वज्र समेत अन्य रक्षा उपकरणों का पोखरण में प्रदर्शन किया जा रहा है।
देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के अलावा, दर्शकों में विभिन्न देशों के सैन्य अताशे, स्थानीय नागरिक और रक्षा कर्मी और क्षेत्र के कुछ सांसद-विधायक भी शामिल थे।
मोदी ने लोगों से यह याद करने को कहा कि 2014 से पहले चर्चा के विषय क्या थे। उन्होंने कहा कि तब चर्चा ‘‘रक्षा सौदों में घोटाले’’ और ‘‘दशकों से लंबित रक्षा सौदों’’ के बारे में होती थी। उन्होंने कहा कि सैन्य उपकरणों, हथियारों का आकार कम करना एक मुद्दा हुआ करता था।
उन्होंने कहा, ‘‘दशकों तक वे हमारे बलिदान देने वाले वीर सैनिकों के लिए स्मारक नहीं बना सके, यह कर्तव्य भी हमारी सरकार ने निभाया। पहले की सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण से डरती थी। लेकिन, आज, कई आधुनिक सड़कें देखी जा सकती हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक सुरंग बनाई जा रही हैं।’’