सूरत साइबर क्राइम सेल ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए डिजिटल हैरेसमेंट और साइबर ठगी के गंभीर मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चौंकाने वाला नाम राष्ट्रीय स्तर के बास्केटबॉल खिलाड़ी परमवीर सिंह का भी है। पुलिस ने भावनगर से जिन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, वे हैं: राजू परमार, किशन पटेल और परमवीर सिंह। इनमें से परमवीर सिंह ने लगातार छह वर्षों तक अंडर-19 भारतीय बास्केटबॉल टीम का हिस्सा रहकर देश का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन पैसों के लालच में उसने साइबर अपराध का रास्ता अपना लिया।
जांच में सामने आया कि राजू परमार ने अपने बैंक खाते को किराए पर देकर उससे पैसे कमाने की कोशिश की। इसके बाद किशन पटेल ने न केवल अपने खाते, बल्कि राजू के खाते को भी किराए पर देकर परमवीर सिंह के हवाले कर दिया, जिससे वह ऑनलाइन ठगी के लिए इन खातों का इस्तेमाल कर सके। पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 15 डेबिट कार्ड, 4 बैंक पासबुक, 11 बैंक चेकबुक, और ₹1 लाख से अधिक की नकदी जब्त की है।
सबसे ताजा मामला सूरत के एक सीनियर सिटिजन से जुड़ा है, जिसे वीडियो कॉल पर खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर डराया गया। उसे बताया गया कि वह ₹2.5 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसा है, और डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर दो दिन तक मानसिक प्रताड़ना दी गई। इस दौरान सीनियर सिटीजन से एफडी तुड़वाकर ₹16.65 लाख की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर करवा ली गई। जब बुजुर्ग ने अपने परिवार को यह जानकारी दी, तब उनकी बेटी ने तुरंत सूरत साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई।
डीसीपी भावेश रोजिया के अनुसार, पुलिस ने तकनीकी जांच के दौरान आरोपियों के बैंक खाते और डिजिटल लेन-देन की बारीकी से जांच की। इसके आधार पर तीनों आरोपियों को पकड़ा गया, और यह भी पता चला कि ये लोग देश के 18 राज्यों में साइबर ठगी के कम से कम 40 मामलों में शामिल रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि साइबर अपराध के नेटवर्क में अब पेशेवर और प्रतिभाशाली लोग भी शामिल हो रहे हैं, जो पैसे के लालच में कानून और नैतिकता की सीमाएं पार कर रहे हैं।
पुलिस अब इन आरोपियों के डिजिटल उपकरणों, लेन-देन के नेटवर्क और बाकी सहयोगियों की भी जांच कर रही है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इस गिरोह का विस्तार कितना बड़ा है और देशभर में इसके कितने पीड़ित हो सकते हैं। यह गिरफ्तारी साइबर सुरक्षा की चुनौती और बढ़ते डिजिटल अपराधों के प्रति आम नागरिकों की जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है।