अमेरिका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा 18 से 23 फरवरी तक भारत, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। इस दौरान वह हिंद-प्रशांत साझेदार के बीच सहयोग को भी मजबूत करेंगे।
कल भारत दौरे पर आएंगे रिचर्ड वर्मा
अपनी यात्रा के दौरान रिचर्ड वर्मा सबसे पहले भारत की यात्रा करेंगे। भारत में वह आर्थिक विकास, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहित कई मुद्दों पर अमेरिकी-भारत वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और उद्यमियों से मुलाकात करेंगे।
भारत सहित इन देशों की करेंगे यात्रा
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि प्रबंधन और संसाधन राज्य के उप सचिव रिचर्ड आर वर्मा इनमें से प्रत्येक के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग को मजबूत करने के लिए 18 से 23 फरवरी को भारत, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। बयान में कहा गया है कि उनकी यह यात्रा एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समृद्ध क्षेत्र के लिए अमेरिका की स्थायी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी।
भारत के साथ इन मुद्दों पर होगी चर्चा
यूएस इंडो-पैसिफिक रणनीति की दो साल की सालगिरह के तुरंत बाद उनकी यात्रा एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समृद्ध क्षेत्र के रूप में अमेरिका की स्थाई प्रतिबद्धता की पुष्टि करेगी। नई दिल्ली में वर्मा आर्थिक विकास, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहित कई मुद्दों पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और उद्यमियों से मुलाकात करेंगे।
मालदीव और श्रीलंका की करेंगे यात्रा
वर्मा भारत के बाद मालदीव की राजधानी माले जाएंगे। यहां वे वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। माले में वर्मा अमेरिकी दूतावास के लिए नियोजित कार्यालय स्थल का भी दौरा करेंगे। इससे अमेरिका और मालदीव के बीच संबंधों को और बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्मा अपनी यात्रा का समापन कोलंबो में करेंगे। वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उनकी बैठकों से अमेरिका-श्रीलंकाई रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग को समर्थन मिलेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री से मिले जयशंकर
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को जर्मनी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और ब्रिटिश समकक्ष डेविड कैमरन सहित प्रमुख नेताओं के साथ द्विपक्षीय सहयोग और प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के मौके पर हुई।
जयशंकर ने एक्स पोस्ट में कहा कि ब्लिंकन के साथ बैठक प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ पश्चिम एशिया, यूक्रेन और हिंद-प्रशांत की स्थिति पर केंद्रित थी। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों में जारी प्रगति की समीक्षा की गई। समझा जाता है कि दोनों ने भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।