डॉ. एम. एल. राजा को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चेयर से सम्मानित किया जाना न केवल उनके बहुआयामी विद्वतापूर्ण योगदान का सम्मान है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में गंभीर, वैज्ञानिक, और समर्पित शोध के प्रति राष्ट्र की सराहना का भी प्रतीक है।
डॉ. एम. एल. राजा को ‘डॉ. राधाकृष्णन चेयर’ सम्मान: मुख्य बिंदु
सम्मान का महत्व
- यह चेयर राज्यसभा द्वारा 2009 में स्थापित की गई थी।
- इसका उद्देश्य है – भारतीय संसदीय लोकतंत्र, इतिहास, संस्कृति और शिक्षाशास्त्र पर उच्च स्तरीय शोध को प्रोत्साहन देना।
- डॉ. राजा इस प्रतिष्ठित चेयर के तीसरे नामांकित विद्वान हैं (और सक्रिय रूप से दूसरे)।
डॉ. एम. एल. राजा: एक बहुआयामी विद्वान
क्षेत्र | योग्यता / योगदान |
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नेत्र रोग विज्ञान | MBBS, DO – कुशल नेत्र रोग विशेषज्ञ |
पुरातत्व व अभिलेख शास्त्र | DIAE – पुरातात्विक साक्ष्यों के अध्ययन में दक्ष |
इतिहास | MA – भारतीय ऐतिहासिक कालक्रम के वैज्ञानिक अध्ययनकर्ता |
प्रकाशित पुस्तकें | 13+ पुस्तकें, जिनमें विशेष उल्लेखनीय: |
- “आर्यभट्ट की तिथि”
- “महाभारत युद्ध की तिथि का खगोलशास्त्रीय प्रमाण” |
| अनुसंधान क्षेत्र | प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र, काल निर्धारण, ऐतिहासिक पात्रों की वास्तविक तिथियां |
| भाषाओं में दक्षता | तमिल, संस्कृत, तेलुगु, अंग्रेज़ी |
| संस्थान | - AVNASH (राष्ट्रीय कलाओं एवं वैज्ञानिक धरोहर अकादमी)
- RICH (कालक्रम और इतिहास शोध संस्थान) – निदेशक के रूप में कार्यरत |
हालिया सम्मान
- तमिलनाडु राज्यपाल द्वारा कंब रामायणम् और तमिल साहित्यिक कार्यों पर रिसर्च के लिए सम्मानित।
- AICTE-IKS (भारतीय ज्ञान प्रणाली) के साथ संरक्षक और मूल्यांकनकर्ता।
उपराष्ट्रपति धनखड़ के उद्गार
- “यह चेयर सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि शिक्षकों और शोधकर्ताओं की भूमिका को राष्ट्रनिर्माता के रूप में स्वीकार करती है।”
- “जैसे माता-पिता का सम्मान करते हैं, वैसे ही शिक्षकों का करें – यह राधाकृष्णन की भावना का विस्तार है।”
डॉ. राजा के शोध का महत्व
विषय | विशेषता |
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प्राचीन भारत का काल निर्धारण | तिथियों को खगोलशास्त्रीय सूत्रों से वैज्ञानिक रूप से स्थापित करना |
ऐतिहासिक चरित्रों की प्रमाणिकता | जैसे आदि शंकराचार्य, चंद्रगुप्त मौर्य |
परंपरा और विज्ञान का संगम | आधुनिक खगोलशास्त्र के साथ प्राचीन ग्रंथों की संगति |
डॉ. एम. एल. राजा जैसे विद्वानों का कार्य हमें यह स्मरण कराता है कि भारतीय इतिहास और संस्कृति केवल भावनाओं पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, खगोलीय और भाषायी प्रमाणों पर आधारित गहन अध्ययन से ही सशक्त बनता है।
डॉ. राधाकृष्णन चेयर का उन्हें दिया गया सम्मान यह सिद्ध करता है कि भारत आज भी गंभीर शिक्षकों, शोधकर्ताओं और ज्ञान साधकों को सर्वोच्च सम्मान देने वाला राष्ट्र है।