लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 8 राज्य और केंद्रीय शासित प्रदेश की 49 सीटों पर वोटिंग हो रही है. इस चरण में 695 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 613 पुरुष और 82 महिला प्रत्याशी हैं. मोदी सरकार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी सहित 9 केंद्रीय मंत्रियों की साख दांव पर है.कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वायनाड के साथ रायबरेली सीट से भी चुनावी मैदान में हैं, जहां पर उनकी अग्निपरीक्षा आज ही होनी है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान का भी इम्तिहान इसी चरण में है.
पांचवें चरण की 49 लोकसभा सीटों पर 695 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 8.95 करोड़ मतदाता करेंगे. उत्तर प्रदेश की 14, महाराष्ट्र की 13, पश्चिम बंगाल की 7, बिहार की 5, झारखंड की 3, ओडिशा की 5 और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की 1-1 सीट पर मतदान है. इस तरह में सबसे ज्यादा सीटों पर बीजेपी चुनावी मैदान में है.
किस पार्टी के कितने कैंडिडेट?
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में बीजेपी 40 सीट पर चुनाव लड़ रही है, तो कांग्रेस ने 19 सीट पर अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं. सपा ने 10 सीटों पर, तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने 8 सीट, टीएमसी ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना 6 सीट पर चुनाव लड़ रही है, तो आरजेडी 4 सीट और एआईएमआईएम 4 सीट पर चुनाव लड़ रही है. एलजेपी (आर) से चिराग पासवान और जेडीयू एक सीट पर चुनाव लड़ रही है.
पांचवें चरण में किसका-क्या दांव?
पांचवें चरण में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी की दांव पर लगी है क्योंकि पांच साल पहले 65 फीसदी सीटें वो जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस महज एक सीट पर ही सिमट गई थी. उसके सहयोगी दल भी अपना कोई खास असर नहीं दिखा सकी थी. 2019 में इन 49 सीटों में से बीजेपी 32, शिवसेना (संयुक्त) 9, टीएमसी 4 और बीजेडी 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. कांग्रेस सिर्फ रायबरेली सीट ही जीत सकी थी. इसके अलावा जेडीयू ने एक, एलजेपी ने एक और नेशनल कॉफ्रेंस ने एक सीट जीती. बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए 41 सीटें जीतने में कामयाब रहा था, जबकि यूपीए सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी और अन्य को पांच सीटें मिली थी.
2019 से कैसे अलग है 2024?
2019 के लोकसभा चुनाव में से 2024 का चुनाव अलग है. यूपी में सपा और कांग्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है, तो महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी दो-दो धड़ों में बंटी हुई है. शिवसेना के एकनाथ शिंदे और एनसीपी के अजित पवार इस बार बीजेपी खेमे के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. इसी तरह बिहार में भी नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए के साथ है, तो लेफ्ट और आरजेडी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.
बीजेपी पिछले चुनाव में इन 49 सीटों में से 40 सीट पर चुनाव लड़ी थी, जबकि कांग्रेस ने 36 सीटों पर किस्मत आजमाई थी. 2019 की तरह बीजेपी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही, जबकि कांग्रेस पिछली बार से आधी 19 सीट पर किस्मत आजमा रही है. सपा पिछली बार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है क्योंकि 2019 में बसपा के साथ गठबंधन था. बसपा यूपी और बिहार की सभी सीटों पर चुनाव मैदान में है.
2009 से 2019 तक का ट्रैक रिकॉर्ड
2009 में बीजेपी के पास सिर्फ छह सीटें थीं, जबकि कांग्रेस के पास 14 सीट थीं. पांच साल के बाद 2014 में चुनाव हुए बीजेपी बढ़कर 27 पर पहुंच गई और 2019 में 32 सीट हो गई. कांग्रेस 14 सीटों से घटकर 2014 में घटकर कर दो सीट पर आई और 2019 में सिर्फ रायबरेली तक सीमित हो गई थी. बीजेपी का सियासी ग्राफ तेजी से बढ़ा है जबकि कांग्रेस लगातार कमजोर हुई है.
2019 के चुनाव में बीजेपी ने जिन 40 सीट पर चुनाव लड़ी थी, उसमें से 30 सीट पर उसे 40 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले थे और 9 सीटों पर उसे 30 से 40 फीसदी के बीच वोट शेयर था. कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट पर ही 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, जिनमें से एक सीट ही जीत सकी थी. कांग्रेस को 17 सीटों पर 10 फीसदी से कम वोट मिला था. लोकसभा के तीन चुनाव से बीजेपी की सीटें जिस तरह बढ़ी है, उससे साफ जाहिर होता है कि कैसे इन सीटों पर उसे चुनौती देना आसान नहीं है
पांचवें चरण में इन सीटों पर नजर
पांचवें चरण में चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां से मतदाता हर चुनाव में अपना मिजाज बदल देते हैं. इसमें बारामूला, बारगढ़, पालघर, सीतामढ़ी लोकसभा सीट शामिल हैं, जिसे एक बार जीती हुई पार्टी अपने पास बरकरार नहीं रख पाती. इस चरण में चार सीटें ऐसी हैं, जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम था. ये सीटें हैं उत्तर प्रदेश की कौशाम्बी, ओडिशा की बलांगीर और पश्चिम बंगाल की बैरकपुर और आरामबाग. इसी तरह से उत्तर प्रदेश की चार सीटें हैं, जिन पर बहुत ही कम अंतर जीत-हार का था. इसके चलते पांचवें चरण में इन 8 सीटों पर सभी की निगाहें लगी हैं, क्योंकि इन पर कुछ वोटों का हेरफेर जीत का समीकरण पूरी तरह से बिगाड़ सकता है.
किस राज्य में किसका क्या दांव लगा?
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 8 राज्यों में चुनाव हैं, जिसमें 2 केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल हैं. इस बार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग चुनावी मुकाबले की संभावना मानी जा रही है. यूपी की 14 में से 13 सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी, जबकि कांग्रेस 1 सीट ही जीत सकी थी. इस बार की चुनावी लड़ाई कांटे की टक्कर मानी जा रही है. बीजेपी के लिए अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती है क्योंकि कई सीटों पर इंडिया गठबंधन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
बिहार की जिन पांच सीट पर चुनाव हैं, उन सभी को एनडीए ने जीती थी. जेडीयू और एलजेपी एक-एक सीट और बीजेपी तीन सीटें जीतने में सफल रही. बिहार में इस बार मुकाबला एनडीए के लिए आसान नहीं दिख रहा है क्योंकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की रैलियों में जिस तरह भीड़ जुट रही है, उससे एकतरफा लड़ाई नहीं है. पांचवें चरण में झारखंड की जिन तीन सीट पर चुनाव हो रहे हैं, उन सभी पर बीजेपी का कब्जा है. हेमंत सोरेन के जेल में जाने के बाद झारखंड का सियासी मिजाज अलग तरह का नजर आ रहा है.
महाराष्ट्र की जिन 13 सीटों पर चुनाव हैं, उनमें से सात सीटें शिवसेना जीतने में कामयाब रही थी और बीजेपी 6 सीटें जीतने में सफल रही. एनडीए ने पूरी तरह से विपक्ष का सफाया कर दिया था. इस बार उद्धव ठाकरे के एनडीए के बजाय कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के पाले में खड़े हैं, तो एकनाथ शिंदे और अजित पवार बीजेपी के साथ हैं. इसके चलते मुकाबला काफी रोचक हो गया है. पश्चिम बंगाल की जिन सात सीटों पर चुनाव है, उनमें से चार सीटें टीएमसी जीतने में कामयाब रही थी, जबकि बीजेपी 3 सीटें ही जीत सकी थी. पिछली बार की तरह इस बार भी कांटे की फाइट मानी जा रही है.