विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जर्मनी के दौरे के दौरान यूरोप को आतंकवाद, पाकिस्तान, और पश्चिमी देशों की दोहरी नीतियों पर करारा जवाब दिया। उन्होंने जर्मन समाचार आउटलेट ‘पोलिटिकेन’ को दिए इंटरव्यू में पश्चिमी देशों की ऐतिहासिक नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए कहा:
“यूरोप ने लंबे समय तक पाकिस्तान में सैन्य शासन को समर्थन दिया है, जबकि वह सीमा पार आतंकवाद को प्रश्रय देता रहा है और लोकतंत्र को कमजोर करता रहा है।”
Chaired the regional conference of our Ambassadors in Europe today in Berlin.
We discussed #OpSindoor and our message of zero tolerance for terrorism. Also deliberated on various aspects of more deeply engaging Europe at a time of change. pic.twitter.com/kZSifq9fsf
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 22, 2025
मुख्य बातें: जयशंकर का दो टूक संदेश
1. 80 वर्षों से आतंकवाद का सामना कर रहा है भारत
“1947 में आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया। पिछले 80 वर्षों में भारत ने लगातार आतंकवाद झेला है। आप लोग अब जागे हैं, जबकि हम 8 दशक से इनका मुकाबला कर रहे हैं।”
2. पाकिस्तान की सत्ता में सेना का वर्चस्व
“पाकिस्तान में सेना लोकतांत्रिक ढांचे पर हावी रही है और उसने कश्मीर, अफगानिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप में आतंकवादी संगठनों को समर्थन दिया है।”
3. पाकिस्तान पर विश्वास नहीं किया जा सकता
“2004 में अमेरिका ने पाकिस्तान को ‘प्रमुख गैर-NATO सहयोगी (MNNA)’ का दर्जा दिया, जबकि वह आतंकवादियों को पनाह देता रहा। क्या यह भरोसे लायक है?”
यूरोप को कटघरे में खड़ा किया
जयशंकर ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश जो खुद लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य शासन को स्वीकार कर, वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ही कमजोर किया है।
“हमने वर्षों से पाकिस्तान की हकीकत बताई है, लेकिन पश्चिम ने जानबूझकर अनदेखा किया। अब जब यूरोप खुद आतंकवाद का शिकार हो रहा है, तब जाकर उसे समझ आ रहा है कि भारत क्या झेलता आया है।”
बर्लिन में चांसलर से मुलाकात
जयशंकर की यह टिप्पणी बर्लिन में उनकी यात्रा के दौरान आई, जहां उन्होंने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से मुलाकात की। उन्होंने कहा:
“भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम जारी रहेगा। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जर्मनी की एकजुटता के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।”
पृष्ठभूमि में क्या चल रहा है?
- यूरोप हमलों और कट्टरता की बढ़ती घटनाओं से जूझ रहा है
- भारत ने हमेशा कहा है कि आतंकवाद को “अच्छा या बुरा” कहकर नहीं बाँटा जा सकता
- जयशंकर की यह टिप्पणी यूरोपीय नीति निर्माताओं को भारत की वास्तविकता समझाने का प्रयास भी है
विश्लेषण: भारत की विदेश नीति में स्पष्टता और आत्मविश्वास
विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान भारत की नवीन, स्पष्ट और स्वाभिमानी विदेश नीति का उदाहरण है:
- दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाना
- स्वयं के अनुभवों को विश्व मंच पर रखकर वैश्विक सहयोग की नई शर्तें तय करना
- आतंकवाद पर “बिना झिझक” यूरोप-अमेरिका की भूमिका की समीक्षा