12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश के एक हफ्ते बाद, एयर इंडिया के तीन ट्रेनी पायलट्स ने मुंबई में उस हादसे के सीन को सिम्युलेटर में दोबारा री-क्रिएट करने की कोशिश की। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी, और इसकी वजह को समझने के लिए इलेक्ट्रिकल फेल्योर को संभावित कारण माना जा रहा है, जो दोनों इंजनों में आग लगने और विमान के टेकऑफ के तुरंत बाद ऊंचाई न पकड़ पाने का कारण बन सकता है।
हादसे की जांच और री-क्रिएशन के प्रयास:
- पायलट्स ने AI-171 की ट्रिम शीट के सटीक डेटा को सिम्युलेशन में दोहराया, जिसमें विमान का वजन और बैलेंस शामिल होता है।उन्होंने एक इंजन फेल होने, अंडरकैरिज को नीचे छोड़ने, और गलत फ्लैप कॉन्फ़िगरेशन जैसी स्थितियां दोहराईं, जो टेकऑफ के लिए सामान्यतः असुरक्षित मानी जाती हैं।इन परिस्थितियों में भी विमान एक चालू इंजन के सहारे सुरक्षित ऊंचाई हासिल कर सका।
इससे यह संभावना सामने आई कि दोनों इंजनों का फेल होना ही हादसे की मुख्य वजह हो सकती है।
ब्लैक बॉक्स और फ्यूल स्विच की जांच:
- जांचकर्ता ब्लैक बॉक्स डेटा और फ्यूल स्विच मलबे की जांच कर रहे हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि टेकऑफ के समय कोई इंजन गलती से बंद तो नहीं कर दिया गया था।
पायलट प्रशिक्षण की सीमाएं:
- AI-171 जैसी स्थिति, जहां विमान 400 फीट से कम ऊंचाई पर ड्यूल इंजन फेल्योर का सामना करता है, एयर इंडिया के पायलट प्रशिक्षण में शामिल नहीं है। इसे ‘निगेटिव ट्रेनिंग’ की श्रेणी में माना जाता है।
ड्रीमलाइनर की विश्वसनीयता पर असर:
- यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला बड़ा क्रैश था, जिससे न केवल एयर इंडिया बल्कि बोइंग और अन्य एयरलाइनों की सुरक्षा और संचालन प्रणाली पर सवाल उठे हैं।एयर इंडिया के पास 33 बोइंग 787 विमान हैं, जिनमें 26 ‘787-8’ और 7 ‘787-9’ शामिल हैं।
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