गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने ‘सेंगोल’ का जिक्र किया। उसके बाद से ये चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर ये सेंगोल होता क्या है? इस बारे में खुद अमित शाह ने बताया है कि सेंगोल हमारी प्रचीन परंपरा से जुड़ा हुआ है, जिसने इतिहास में अहम भूमिका निभाई है। 14 अगस्त 1947 की रात को पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार किया था।
सेंगोल संस्कृत शब्द “संकु” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “शंख”। हिंदू धर्म में शंख को काफी पवित्र माना जाता है। यह चोला साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। पुरातन काल में सेंगोल को सम्राटों की शक्ति और अधिकार का प्रतीक माना जाता था। इसे राजदंड भी कहा जाता था। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो इस सेंगोल को अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक माना गया। अब नए संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। शाह ने बताया है कि अभी तक इस सेंगोल को इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था।
PM Modi will dedicate the newly constructed building of Parliament to the nation on 28th May. A historical event is being revived on this occasion. The historic sceptre, ‘Sengol’, will be placed in new Parliament building. It was used on August 14, 1947, by PM Nehru when the… pic.twitter.com/NJnsdjNfrN
— ANI (@ANI) May 24, 2023
शाह ने बताया कि 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी लेकिन 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। इस दौरान सेंगोल ने एक अहम भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। दरअसल जब लॉर्ड माउंट बैटेन ने पंडित नेहरू से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया के बारे में पूछा था तो राजगोपालचारी ने सेंगोल की परंपरा के बारे में बताया था। इस तरह से सेंगोल की प्रक्रिया तय हुई थी। इसके बाद तमिलनाडु से पवित्र सेंगोल लाया गया था और पंडित नेहरू को मध्य रात्रि में दिया गया। जिसके बाद ये माना गया कि अंग्रेजों ने नेहरू को सत्ता सौंप दी है।
28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान वह 60 हजार श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे। इसी दौरान सेंगोल को स्पीकर की सीट के पास लगाया जाएगा।