वसंत पंचमी का धार्मिक महत्व होने के साथ ही सामाजिक महत्व भी है।
वसंत पंचमी जीवन में नई चीजें शुरू करने का एक शुभ दिन है। इस मौसम में पेड़ों पर नव कोपलें आनी शुरू हो जाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है।
कैसे हुई वसंत पंचमी को मनाने की शुरुआत?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना करके जब उन्होंने संसार में देखा तो उन्हें चारों ओर सूनसान निर्जन ही दिखाई दिया। वातावरण बिल्कुल शांत लगा। तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। जल छिड़कने के बाद देवी के हाथ में वीणा लिए प्रकट हुईं। मां के प्रकटोत्सव को पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
धार्मिकता के साथ इस पर्व के पर्यावरणीय महत्व भी हैं। इस ऋतु के साथ मौसम की चाल बदलने लगती है। शाम भी खुशगवार हो रही होती है। नव पल्लव के साथ मौसम में बदलाव स्पष्ट नजर आने लग जाता है। ठंड में मुरझाए हुए पेड़-पौधे, फूल आंतरिक अग्नि को प्रज्ज्वलित कर नए सृजन की तरफ बढ़ते हैं। खेतों में फसल वातावरण को खुशनुमा बना देती है।
ये नव सृजन का संकेतक पर्व है, ये नव ऊर्जा के संचार के पर्व है।
इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा और व्रत किया जाता है। मां सरस्वती कमल और हंस पर विराजमान हैं। एक हाथ में पुस्तक, दूसरे हाथ में वीणा तीसरे हाथ में माला और आशीर्वाद मुद्रा में हैं। मां सरस्वती के ये स्वरूप हमें अलग-अलग सीख देते हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मां सरस्वती का स्वरूप का क्या प्रेरणा देता है?
कमल पर विराजमान मां सरस्वती
मां सरस्वती कमल पर विराजमान हैं। कमल का फूल कीचड़ में खिलता है। इससे लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि चाहे आसपास का वातावरण कैसा भी हो, लेकिन उसका असर हमारे जीवन पर नहीं आना चाहिए।
हाथ में पुस्तक
मां सरस्वती के हाथ में पुस्तक होने की वजह से उन्हें ज्ञान की देवी कहा गया है। मां सरस्वती की ये पुस्तक शिक्षा के लिए प्रेरित करती है।
हाथ में वीणा
मां सरस्वती वीणा को लेकर सृष्टि पर प्रकट हुई थीं। मान्यता के अनुसार, मां सरस्वती ने जब वीणा बजाई तो सारा संसार आनंद से खिल उठा था और पूरे वातावरण में उत्सव जैसा माहौल हो गया था। इसी तरह से लोगों को उत्साह से भरपूर रहना चाहिए। वीणा का अर्थ यह है कि सदैव खुश रहना और दूसरे लोगों में खुशियां बांटना।
हाथ में माला
मां सरस्वती के हाथ में अक्ष माला है। इस माला को भगवान ब्रह्माजी भी धारण करते हैं। माला का अर्थ यह है कि जीवन में सदैव धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।
मां सरस्वती का वाहन हंस
कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का वाहन हंस है। हंस से जागरूक होने की प्रेरणा मिलती है। मन से बुरी सोच को खत्म कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।