सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024′ को लोकसभा में पेश करने के साथ ही यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जबरदस्त विरोध किया, जिससे सदन में तीखी बहस देखने को मिली।
विधेयक का उद्देश्य
इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य है:
- लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान बनाना।
- इससे चुनावों पर होने वाले खर्च को कम करना और प्रशासनिक बोझ को हल्का करना।
- बार-बार चुनावों से होने वाले विकास कार्यों में रुकावट को दूर करना।
विपक्ष का विरोध
- कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने सवाल उठाया कि बिल पर किस प्रकार की चर्चा या बहस की जा रही है।
- विपक्ष का तर्क है कि:
- यह विधेयक संविधान की संघीय व्यवस्था को कमजोर कर सकता है।
- राज्यों की स्वायत्तता और अधिकारों पर अतिक्रमण हो सकता है।
- एक साथ चुनावों की प्रक्रिया में लॉजिस्टिक और प्रबंधन संबंधी चुनौतियाँ सामने आएंगी।
सरकार का पक्ष
- कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विधेयक को सदन में रखते हुए इसके लाभों को सामने रखा।
- उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव से:
- व्यय में कटौती होगी।
- प्रशासनिक मशीनरी और सुरक्षाबलों पर कम बोझ पड़ेगा।
- चुनावों के दौरान विकास कार्य ठप होने की समस्या खत्म होगी।
- गृह मंत्री अमित शाह को भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करना पड़ा, ताकि सदन में बहस को सही दिशा दी जा सके।
महत्वपूर्ण बिंदु
- संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
- यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 83, 172, 85, और 356 से संबंधित प्रावधानों में संशोधन की बात करता है।
- विधेयक का पास होना राज्यों और केंद्र के बीच सहमति और समर्थन पर निर्भर करेगा।
लोकसभा में 72 पर क्या बोले शाह?
गौरव गोगोई ने सवाल खड़ा किया कि बिल पर यह चर्चा है या नियम 72 है? इससे पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पेश किए जाने का विरोध करने के लिए एक नोटिस दिया था उन्होंने कहा था कि मैं संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 को प्रक्रिया नियम के नियम 72 के तहत पेश किए जाने का विरोध करने के अपने इरादे का नोटिस देता हूं.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वो किसी भी विषय वस्तु को किस तरह से लेता है. इसके बाद अध्यक्ष ने नियम की व्याख्या की.
अमित शाह को करना पड़ा हस्तक्षेप
लोकसभा अध्यक्ष के जवाब के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अध्यक्ष जी की बात को मैंने सुना है. उन्होंने 72 से बाहर जाने की बात को नहीं कहा है. उन्होंने कहा है कि माननीय सदस्य मनीष तिवारी ने जिस 72 का हवाला देकर जो विचार किए हैं.इस पर सदन का कोई भी सदस्य अपना विचार रख सकता है. अब कांग्रेस पार्टी में विचार रख सकता है का मतलब है विरोध ही करना है. लेकिन विचार रख ही सकते हैं तो इसका मतलब है पक्ष में भी बोल सकते हैं.