विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, जिनका आज (9 जनवरी) 70वां जन्मदिन है, भारतीय कूटनीति के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने वैश्विक मंचों पर अपनी सटीक टिप्पणियों और स्पष्ट दृष्टिकोण से भारत की स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत किया है। उनके बयानों ने भारत की विदेश नीति को स्पष्टता और दृढ़ता प्रदान की है। आइए उनके कुछ चर्चित बयानों पर एक नज़र डालते हैं:
आतंकवाद पर जयशंकर का सख्त रुख
- मुंबई को आतंकवाद विरोध का प्रतीक बताया:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की बैठक मुंबई के उसी होटल में आयोजित करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, “हम आतंकवाद को उजागर करेंगे और जहां कार्रवाई करनी होगी, करेंगे।”
अमेरिका को दिया सटीक जवाब
- अक्टूबर 2024 में कार्नेगी थिंक टैंक कार्यक्रम:
जब भारत पर सवाल उठाया गया, तो जयशंकर ने दृढ़ता से कहा, “आपको कमेंट करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे भी आपके कमेंट पर कमेंट करने का अधिकार है। अगर मैं ऐसा करूं तो बुरा मत मानना।”
यह बयान उनकी तटस्थता और दृढ़ता का परिचायक है।
पाकिस्तान और चीन को सुनाई खरी-खरी
- एससीओ सम्मेलन में पाकिस्तान से दो टूक:
पाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में, उन्होंने कहा, “सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। एससीओ को तीन बुराइयों (आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद) का दृढ़ता से मुकाबला करना चाहिए।” - चीन को स्पष्ट संदेश:
“यदि संबंधों को सुधारना है, तो शांति आवश्यक है।”
उन्होंने चीन द्वारा 2020 में एलएसी पर समझौते के उल्लंघन का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया।
ब्रिक्स पर स्पष्ट दृष्टिकोण
- जेनेवा में ब्रिक्स की जरूरत पर बयान:
जब उनसे ब्रिक्स के गठन पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “ब्रिक्स इसलिए बना क्योंकि जी-7 एक बंद क्लब था, और हमने अपना क्लब बनाने का फैसला किया।”
कनाडा को सख्त जवाब
- चरमपंथी ताकतों पर आलोचना:
कनाडा के साथ तनावपूर्ण संबंधों पर, उन्होंने कहा, “कनाडा ने बिना जानकारी दिए आरोप लगाने का पैटर्न बना लिया है। चरमपंथी ताकतों को राजनीतिक स्थान देना अस्वीकार्य है।”
भारत की सशक्त विदेश नीति के सूत्रधार
डॉ. एस. जयशंकर का हर बयान भारत की संप्रभुता और सम्मान को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। उनका नेतृत्व भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत आवाज़ देने में सहायक रहा है।