प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू में चीनी दार्शनिक और यात्री ह्वेनसांग का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों में ह्वेनसांग की भारत यात्रा का विशेष स्थान है।
ह्वेनसांग कौन था?
- जन्म: ह्वेनसांग का जन्म 602 ई. में चीन के लुओयंग में हुआ था।
- मृत्यु: 5 फरवरी 664 को ह्वेनसांग का निधन हुआ।
- व्यवसाय: वह एक दार्शनिक, यात्री, और अनुवादक था।
- ख्याति:
- उसे “प्रिंस ऑफ ट्रैवलर्स” कहा जाता है।
- बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन और अनुवाद में उसका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
- भारत यात्रा:
- 16 साल लंबी यात्रा के दौरान उसने भारत के कई हिस्सों का भ्रमण किया।
- उसका मुख्य उद्देश्य नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना था।
ह्वेनसांग की भारत यात्रा:
- प्रारंभ: ह्वेनसांग ने 629 ई. में 27 साल की उम्र में चीन के चांगआन शहर से भारत की यात्रा शुरू की।
- चुनौतियां: चीन में उस समय गृहयुद्ध और डाकुओं का आतंक था। साथ ही, नागरिकों को देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद, ह्वेनसांग ने भारत आने का साहसिक निर्णय लिया।
- भारत में प्रवास:
- वह पैदल चलते हुए भारत के विभिन्न राज्यों से होकर नालंदा पहुँचा।
- उसने उत्तर भारत के कई प्रमुख बौद्ध स्थलों का भ्रमण किया।
ह्वेनसांग और वडनगर:
- वडनगर में प्रवास:
- ह्वेनसांग भारत यात्रा के दौरान वडनगर (गुजरात) पहुँचा, जो प्रधानमंत्री मोदी का जन्मस्थान है।
- उसने वडनगर में कुछ समय बिताया और इसे ओ-नान-टू-पु-लो (अनुवाद: आनंदपुर) नाम से संबोधित किया।
- विवरण:
- वडनगर में लगभग 10 संघाराम (बौद्ध मठ) थे।
- वहां 1,000 से कम बौद्ध भिक्षु रहते थे, जो हीनयान और सम्मतीय संप्रदाय का पालन करते थे।
- उसने वडनगर में विभिन्न संप्रदायों और बड़े मंदिरों का उल्लेख किया है।
ह्वेनसांग और पीएम मोदी-शी जिनपिंग का संबंध:
- जिनपिंग का पीएम मोदी से विशेष नाता:
- जब पीएम मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बधाई दी।
- उन्होंने भारत और गुजरात आने की इच्छा जताई, खासकर वडनगर।
- कनेक्शन:
- जिनपिंग ने बताया कि ह्वेनसांग ने वडनगर में सबसे अधिक समय बिताया और जब वह चीन लौटे, तो जिनपिंग के गांव में रहे।
- यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध भारत और चीन के बीच एक अनूठा कनेक्शन है।
ह्वेनसांग का महत्व:
- सांस्कृतिक पुल:
- ह्वेनसांग भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है।
- बौद्ध धर्म का प्रचार:
- उसकी यात्रा ने भारत के बौद्ध धर्म और संस्कृति को चीन में पहुँचाने में मदद की।
- इतिहास का संरक्षण:
- उसकी रचनाओं में प्राचीन भारत के धार्मिक और सामाजिक जीवन का विस्तार से वर्णन मिलता है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ह्वेनसांग का जिक्र भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करता है और यह दिखाता है कि इतिहास में भारत की सांस्कृतिक विरासत का कितना महत्व रहा है। वडनगर की यह कहानी भारतीय संस्कृति और इतिहास की एक अनमोल झलक प्रस्तुत करती है।