महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के लिए आज (गुरुवार) का दिन अहम है. सुप्रीम कोर्ट 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्वव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़े की दोतरफा याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ राज्य के उस राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसके कारण उद्वव ठाकरे के नेृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई थी.
संविधान पीठ में संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं. पीठ ने 16 मार्च, 2023 को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और 9 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था.
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान न्यायालय से आग्रह किया था कि वह 2016 के अपने उसी फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे, जैसे उसने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार बहाल की थी.
ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी एवं देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष पक्ष रखा था, जबकि एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे एवं महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह ने किया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य के राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को सात-सदस्यीय संविधान पीठ के सुपुर्द करने का आग्रह ठुकरा दिया था.
विधायक अयोग्य होते हैं तो क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर शिंदे सरकार के खिलाफ जाता है तो उसके लिए संकट पैदा हो जाएगा. 16 विधायक अयोग्य होने की सूरत में विधानसभा का नया समीकरण जो होगा वो ये है…
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सीटें 288 हैं. 16 विधायक अयोग्य होने पर ये संख्या 272 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 137 होगा. मौजूदा सरकार की स्ट्रेंथ 165 है. 16 विधायकों के जाने के बाद ये संख्या 149 हो जाएगी (बशर्ते शिंदे गुट के बाकी 24 विधायक भी फडणवीस को समर्थन जारी रखें).
इसके बाद अगर बचे 24 विधायक भी अगर उद्धव के पास लौट आते हैं तो सरकार अल्पमत में हो सकती है. ऐसे में शिंदे गुट के पास 125 विधायक ही रह जाएंगे. ऐसे में भविष्य में अगर फ्लोर टेस्ट के हालात बने तो सरकार में बने रहने के लिए बीजेपी की नजर एनसीपी की संख्या पर होगी. खासतौर पर अजित पवार और उनके समर्थकों पर हो सकती है.
बता दें कि पिछले साल जून में शिंदे और 39 विधायकों ने अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे पार्टी विभाजित हो गई और राज्य में एमवीए सरकार गिर गई. बाद मे, शिंदे ने बीजेपी के साथ गठजोड़ कर राज्य में सरकार बना ली. शिवसेना नीत एमवीए सरकार में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी शामिल थी.