धार भोजशाला से जुड़े तथ्य जल्दी ही लोगों के सामने आने वाले हैं। बता दें कि आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एमपी हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में धार भोजशाला की अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी है।
बता दें कि उत्खनन के दौरान, ASI को देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां मिलीं, जो साइट को ऐतिहासिक महत्व प्रदान करती हैं।
मस्जिद की जगह पर हिंदू मंदिर होने की कही जा रही बात
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का मौका है…आज (एएसआई) की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि वहां पहले हिंदू मंदिर हुआ करता था…वहां सिर्फ हिंदू पूजा होनी चाहिए।
#WATCH | Archeological Survey of India to present a report on Bhojshala Complex in Dhar | Advocate Hari Shankar Jain says, " Today is a very happy occasion…it has been clear by the (ASI) report today that there used to be a Hindu temple…only Hindu puja should take place… pic.twitter.com/Ewca3Kjs7Z
— ANI (@ANI) July 15, 2024
नमाज पढ़ने की इजाजत देने वाला एएसआई का 2003 का आदेश गैरकानूनी है…वहां से 94 से ज्यादा टूटी हुई मूर्तियां बरामद हुई हैं…जो भी इन चीजों को देखेगा, वह आसानी से कह सकता है कि वहां कभी मंदिर हुआ करता था।
2000 पन्नों की रिपोर्ट हुई दाखिल
मामले को लेकर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में एएसआई की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है, एएसआई की रिपोर्ट हमारे मामले को मंजूरी देती है और इसे मजबूत बनाती है। हमने इंदौर उच्च न्यायालय के समक्ष एक मामला स्थापित किया था कि यह एक हिंदू मंदिर का परिसर है और इसका उपयोग मस्जिद के रूप में किया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 2003 में पारित एएसआई का आदेश पूरी तरह से गलत, त्रुटिपूर्ण और देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। हमने इस रिट याचिका के साथ इंदौर उच्च न्यायालय में अपील की थी… और उच्च न्यायालय ने एएसआई को एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया था। आज 2000 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल होने के बाद… हमारा मामला मजबूत हो गया है… सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
रिपोर्ट में क्या-क्या है शामिल?
ASI की रिपोर्ट में देवी-देवताओं की मूर्तियों के बारे में पूरी जानकारी हो सकती है। बता दें कि एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में यह सर्वे कराया गया था। इस दौरान1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं। खोदाई में मिली सबसे खास मूर्ति मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति है।
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने सर्वे को लेकर बड़े खुलासे किए है। उन्होंने बताया कि अब तक जो पुरावशेष मिले हैं, वे भोजशाला को मंदिर साबित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक खोदाई में मिले पुरावशेषों में 37 मूर्तियां हैं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, जटाधारी भोलनाथ, हनुमान, शिव, ब्रह्मा, वाग्देवी, भगवान गणेश, माता पार्वती, भैरवनाथ आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में भोजशाला मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। भोजशाला मामले में ताजा विवाद की शुरुआत 1995 में हुई जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी थी। जिसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं का पूजा करने की इजाजत दी साथ ही मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति मिली, हालांकि 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया। जिसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
हिंदुओं को केवल वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति मिली और मुसलमानों को शुक्रवार को एक से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। इसके बाद साल 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया।
जानकारी के अनुसार, भोजशाला परिसर का संबंध राजा भोज (1000-1055 ई.) से है। कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि भोजशाला का विवादित स्मारक देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है। दूसरी ओर, मुस्लिम समाज इस भोजशाला को कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।