कुछ लोगों को सच सुनने-पढ़ने से चिढ़ मचती है। वो खुद को अपने समुदाय या मजहब का ठेकेदार मान लेते हैं। कौन हैं वो लोग, किस बात पर बैन-बैन चिल्ला रहे? वो हैं कुछ कट्टर इस्लामी और उनके भाईचारे वाले कुछ वामपंथी। हज पर गई मुस्लिम औरतें और बच्चियों के साथ यौन शोषण की खबरों से इनके पाजामे वाले दिमाग में गुस्सा उतर आया है। अपने मजहब के कुछ मर्दों की हकीकत पर शर्म करने के बजाय अपनी ही बहन-बहू-बेटियों से हुई छेड़छाड़ को छिपाने में लग गए हैं।
खबर 100% सच्ची। वो भी आपबीती। आपबीती जिसे पीड़ित औरतों और बच्चियों ने सुनाई। पाजामे वाले दिमाग से दुनिया को देखने वाले शायद वो लिंक खोल कर पढ़ना भूल गए। ‘इस्लाम को बदनाम’, ‘खतरे में इस्लाम’ आदि-इत्यादि विशेषणों के साथ रिपोर्ट को ही झूठा साबित करने का खेल सोशल मीडिया पर खेल दिया। अब खेल शुरू ही हो गया है तो इसका दायरा बढ़ाते हैं। हज पर सिर्फ 5-6 यौन शोषण की खबरें ही क्यों… अन्य बड़े मीडिया संस्थानों में छपी खबरों के साथ समझते हैं इनकी मानसिकता।
बात 2010 की है। एंगी एंगुन्नी (Anggi Angguni) नाम की महिला के साथ हज के दौरान यौन शोषण हुआ था। उसकी बहन के साथ ‘पाक-मस्जिद’ के भीतर एक गार्ड ने यौन शोषण किया था। एंगी एंगुन्नी यह बताती हैं कि हज पर जाना महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार एंगी एंगुन्नी ऐसी अकेली महिला नहीं हैं, जिनके साथ हज के दौरान यौन शोषण हुआ हो। #MosqueMeToo नाम के ट्रेंड के साथ अन्य पीड़ित महिलाओं की आपबीती भी प्रकाशित किया – कई पीड़ितों की आपबीती नाम के साथ तो कई का नाम छिपा (कारण: कट्टर इस्लामी सर तन से जुदा कर देते हैं, कार्टून बनाने पर एकसाथ कई पत्रकारों को गोलियों से छलनी कर देते हैं) कर।
The Washington Post – भारी-भरकम नाम है। वामपंथी कसमें खाते हैं इसकी। कम-अक्ल कट्टर इस्लामी भी दिन में 5 बार लाउडस्पीकर पर इसका नाम चिल्लाते हैं। इसी वॉशिंगटन पोस्ट पर मोना अल्ताहवी (Mona Eltahawy) ने हज के दौरान उनके साथ हुए यौन शोषण की आपबीती लिख डाली है।
मोना अल्ताहवी के साथ हज पर 2 बार यौन शोषण तब हुआ, जब यह सिर्फ 15 साल की थीं। पहली बार भीड़ में किसी ने इनके पिछवाड़े में हाथ डाला, छुड़ाने की कोशिश करने पर भी नहीं छोड़ रहा था। दूसरी बार यौन शोषण हुआ काले पत्थर को चूमने के दौरान। वहाँ खड़े पुलिस वाले ने ही मोना के स्तन को दबोच लिया।
‘इस्लाम सबसे पाक’ मानने वाली कट्टर इस्लामी मानसिकता का नमूना भी मोना अल्ताहवी ने The Washington Post में बताया है। उन्होंने हज के दौरान हुए यौन शोषण का जिक्र जब आम जनता के सामने किया तो एक मुस्लिम औरत ही उनको चुप करवाने लगी। तर्क दिया कि विदेशियों के सामने हज पर मुस्लिम औरतों का यौन शोषण टाइप बातें करोगी तो इस्लाम की बदनामी होगी।
क्या हज पर यौन शोषण की खबरें इक्की-दुक्की हैं? इसका जवाब भी मोना अल्ताहवी ने दिया है। उनके अनुसार #MosqueMeToo नाम के ट्रेंड के साथ हजारों मुस्लिम महिलाओं ने अपने-अपने साथ हुए यौन शोषण की आपबीती को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। इंडोनेशिया, अरब, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, ईरान… मतलब अलग-अलग देशों की पीड़िताओं ने अपनी-अपनी भाषा में हज पर अपने बुरे अनुभवों से दुनिया को रूबरू करवाया है।
वामपंथी मीडिया संस्थानों से एक कदम आगे बढ़ते हैं। इस्लामी मुल्क कतर वाले न्यूज चैनल में छपी खबर पर चलते हैं। सउदी अरब में नरजीस अल-अवामी (Narjis al-Awami) नाम की एक TV एंकर हैं। यह जब हज पर गई थीं, तो इनका भी यौन शोषण हुआ था। newarab.com नाम की वेबसाइट पर आप इस खबर को पढ़ सकते हैं।
नरजीस बताती हैं कि काबा में काले पत्थर को चूमने के दौरान उनका यौन शोषण किया गया। उनके अनुसार वहाँ महिलाओं की लाइन में मुस्लिम मर्द गलत मंशा के साथ घुस जाते हैं, भीड़ का फायदा उठाते हैं। ऐसी ही भीड़ में नरजीस की जाँघों को दबोच कर उनका यौन शोषण किया गया था।
कट्टर इस्लामी समाज में औरतों की औकात
सोशल मीडिया पर ऐसी हजारों औरतें हैं, जिन्होंने हज के दौरान उनके साथ हुए यौन शोषण की घटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन किया है। यहाँ उनका जिक्र जानबूझ कर नहीं किया जा रहा। इसलिए क्योंकि कट्टर इस्लामी मानसिकता वाले मर्द उनकी आपबीती को झूठा करार देंगे। कुछ तो महिलाओं-बच्चियों के हज पर जाने को ही गैर-इस्लामी बताने लग जाते हैं। आखिर अपनी ही बहन-बेटी-बहू को लेकर इतनी घटिया सोच आती कहाँ से है इनके दिमाग में?
शरिया कानून टाइप का कुछ होता है। कट्टर इस्लामी लोग इसके ख्वाब में बहुत कुछ बुनते रहते हैं। शरिया कानून के ख्वाब में ही लोग फट जाते हैं, लड़कियाँ भाग कर या फँसा कर सीरिया ले जाई जाती हैं… सेक्स स्लेव बना दी जाती हैं। ऊपर जिस मानसिकता का जिक्र है, शरिया कानून के ख्वाब से ही वो पनपता है।
मर्दों का, मर्दों के लिए, मर्दों के द्वारा – शरिया कानून को मोटा-मोटी आप ऐसे समझ सकते हैं। यहाँ औरतों की औकात मर्दों की जूती के बराबर होती है।
वापस लौटते हैं शरिया कानून में औरतों की औकात मर्दों की जूती के बराबर वाली बात पर। इसको उदाहरण से समझते हैं। सउदी अरब में अगर कोर्ट के अंदर एक औरत गवाही देगी और एक मर्द गवाही देगा तो शरिया कानून के तहत औरत की गवाही मर्द से आधी मानी जाएगी। न्यायालय ने ही औरतों की औकात आधी कर दी… कट्टर इस्लामी समाज से क्या उम्मीद!
शरिया कानून का एक और उदाहरण। एक शब्द है – हुदूद। शब्द मात्र एक है, लेकिन इस्लामी औरतों के लिए यह नरक का द्वार है। पाकिस्तान में इस शब्द के साथ एक कानून बना दिया गया। इस्लाम के नाम पर बने इस मुल्क के हुदूद कानून से जुड़ा पूरा नरक पढ़ना चाहते हैं तो एशियन ह्यूमन राइट्स कमीशन की इस रिपोर्ट को पढ़ सकते हैं। मोटा-मोटी इसको ऐसे समझ सकते हैं – अगर पाकिस्तान में किसी महिला का बलात्कार हुआ है तो उस महिला को ही कोर्ट में यह साबित करना होगा कि उसने अपनी मर्जी से सेक्स नहीं किया था। इतना ही नहीं, उसे अपनी ही रेप की गवाही के लिए 4 लोगों को कोर्ट में लाना होगा।
कट्टर इस्लामी मानसिकता वाले लोग, समाज या मुल्क में यह है औरतों की औकात।
वामी हो या इस्लामी… सच स्वीकार नहीं
धर्म या मजहब से परे, औरतों-बच्चियों के साथ कहीं कुछ वीभत्स हुआ या होता है तो उसकी रिपोर्टिंग होनी चाहिए। उस रिपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए। इसमें दिक्कत क्यों है? हज पर जाने वाली महिलाओं के साथ मुस्लिम मर्द छेड़छाड़ करते हैं – इस खबर को तो मुस्लिम समाज को ही ज्यादा से ज्यादा फैलाना चाहिए, ताकि ऐसी अपराधी प्रवृति के लोग डरें-सहमें।
हज पर जाने वाली महिलाओं के साथ मुस्लिम मर्द छेड़छाड़ करते हैं – इस खबर में इस्लाम या इस्लाम के ‘पाक’ जगहों पर सवाल कहाँ है? फिर बवाल क्यों? बवाल इसलिए क्योंकि औरतों को कट्टर इस्लामी इंसान ही नहीं मानते हैं।
हिंदू-घृणा से सने वामी-इस्लामी के आगे नहीं झुकेगा
- शिवलिंग पर कंडोम पहनाने का काम किसने किया था? मीडिया में इस अश्लीलता को किसने फैलाया था? तब वामी-इस्लामी गठबंधन ने प्रेस क्लब जाकर मशाल जलाई थी क्या विरोध में?
- भारत माता की योनि से खून बहने वाला ग्राफिक्स किसने बनाया था? मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर इसका प्रचार-प्रसार कौन लोग कर रहे थे?
- रेप-पीड़ित किसी बच्ची के सामने भगवान राम को असहाय दिखाने वाले पोस्टर-बैनर-ग्राफिक्स कहाँ-कहाँ पोस्ट किए गए थे? तब किन-किन के बैन की बात उठी थी?
अगर शीर्षक पर सिर्फ अश्लील होने का आरोप है तो ऊपर के 3 पॉइंट भी खबरों से ही संबंधित हैं। भारत की खबरों से संबंधित। लेकिन इसमें घुसाए गए हिंदू देवी-देवता। न सिर्फ घुसाए गए बल्कि उनका अश्लील चित्रण भी किया गया। हज पर महिलाओं-बच्चियों के यौन शोषण से संबंधित पिछली खबर या इस खबर में क्या इस्लाम के किसी भी प्रतीक पर उँगली उठाई गई? अगर नहीं तो यह अश्लील कैसे? मुस्लिम मर्दों के अपराध को शीर्षक में लाना अगर अश्लील है तो हाँ मैंने किया है अपराध… और आगे भी करता रहूँगा। और मेरे अपराध पर किसी एक्शन ही ख्वाहिश है तो जाओ पहले ऊपर के 3 पॉइंट वाले सभी अपराधियों को पकड़ के लाओ!
अब बात उनकी, जो हज पर महिलाओं-बच्चियों के यौन शोषण से संबंधित पिछली रिपोर्ट को झूठा बता रहे थे। कट्टर इस्लामी सामान्यतः जाहिल-गँवार होते हैं। लिंक खोल कर पढ़ने की समझ उनमें होगी, यह सोचना भी पागलपन है।