वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस के तीसरे संस्करण में कहा गया कि ‘हिंदू’ शब्द बहुत विस्तृत है। ये जिन चीजों को दर्शाता है, जिन बातों को अपने अंदर समाहित करता है, उन्हें बताने के लिए ‘हिंदुत्व’ शब्द सबसे सही है।
वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस का आयोजन हर चार साल में होता है। वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन ने इस बार कार्यक्रम को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में ऑर्गेनाइज किया है। 24 नवंबर को शुरू हुआ प्रोग्राम 26 नवंबर तक चलेगा।
हिंदुइज्म शब्द का भाव दमनकारी और भेदभाव दर्शाता है
वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस के तीसरे संस्करण के पहले दिन के अंत में एक डिक्लेरेशन स्वीकार किया गया। इसमें लिखा था कि ‘हिंदू धर्म’ शब्द का पहला शब्द ‘हिंदू’ असीमित है। यह उन सभी चीजों को दर्शाता है जो सनातन या अनंत हैं। दूसरा शब्द ‘धर्म’ है जिसका मतलब है- वह जो स्थायी रहता है।
इसमें यह भी कहा गया कि इसके विपरीत हिंदुइज्म शब्द के अंत में जो ‘इज्म’ आता है, उसका मतलब है दमनकारी और भेदभाव करने वाले स्वभाव या मान्यताएं। इन्हीं कारणों से हमारे बुजुर्ग हिंदूवाद की जगह हिंदुत्व शब्द को पसंद करते थे। हम उनसे सहमत हैं और इसलिए हमें भी हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। डिक्लेरेशन में कहा गया कि हिंदुत्व कोई जटिल शब्द नहीं है, इसका मतलब सिर्फ हिंदू होने से है।
डीएमके नेताओं के विवादित बयान के कारण हिंदुत्व पर चर्चा हुई
कुछ दिन पहले डीएमके नेताओं ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिए थे। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था। इसी विवाद को लेकर वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस की डिक्लेरेशन में हिंदुत्व को लेकर चर्चा हुई।
इस डिक्लेरेशन में कहा गया कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी हिंदुत्व को हिंदू धर्म से अलग समझते हैं। ये उनकी अज्ञानता है, लेकिन इनमें से ज्यादातर हिंदू-विरोधी इसलिए हैं क्योंकि वे हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत और पूर्वाग्रहों से घिरे हैं।
WHC ने ऐसे हमलों की निंदा की और दुनियाभर के हिंदुओं से अपील की कि वे एकजुट हो जाएं और उन लोगों को हराएं जो कट्टरता दिखाते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में कहा था कि दुनिया एक परिवार है। हम सभी को आर्य यानी एक संस्कृति का हिस्सा बनाएंगे। हालांकि संस्कृति शब्द काफी नहीं है, लेकिन एक बेहतर दुनिया के लिए मुझे संस्कृति कहना होगा। अनुशासन का पालन करने के लिए भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत है।
हमारा धर्म विजय पर विश्वास- संघ प्रमुख
भागवत ने कहा कि हम धर्म विजय पर भरोसा करते हैं। इसी पर हमारा धर्म टिका हुआ है। यह प्रक्रिया धर्म नियम पर आधारित है और इसी के फलस्वरूप धर्म हमारे लिए कर्तव्य बन जाता है।
‘हमने धन विजय और असुर विजय का भी अनुभव किया है। धन विजय के मायने वस्तुओं से मिलने वाली खुशी से है, लेकिन इसमें इरादे ठीक नहीं होते। यह आत्मकेंद्रित होने जैसा है। देश ने 250 साल तक (अंग्रेजों की) धन विजय देखी।’