सौरव राजवैद्य से मोहम्मद सलीम बना हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) का सरगना अपने हिंदू दोस्तों को भी मुस्लिम बनाने में लगा था। दोस्तों को मस्जिद ले जाता था। नमाज पढ़वाता था। अल्लाह और दोजख का खौफ दिखाकर इस्लाम कबूलने का दबाव डालता था। हिंदू देवी-देवताओं को काल्पिनक बताता था।
मध्य प्रदेश एटीएस ने मोहम्मद सलीम को हैदराबाद से पकड़ा था। उससे पूछताछ जारी है। पिछले दिनों उसके माता-पिता ने बताया था कि भोपाल के कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उसका ब्रेनवॉश किया गया था। उसने पहले खुद इस्लाम कबूला और फिर अपनी पत्नी का भी धर्मांतरण करवा दिया।
वह दोस्तों से कहता था, “अगर तुमने इस्लाम कबूल नहीं किया, तो तुम लोग दोजख (जहन्नुम) में तड़पोगे।” भोपाल के लांबाखेड़ा के पास एक कॉलोनी में रहने वाले तपेश ने बताया कि 2006 में सौरभ की बी फॉर्मेसी की पढ़ाई खत्म होने वाली थी। वह पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिले की तैयारी कर रहा था। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सौरभ जब हुबली से लौटा तो वह इस्लाम की बातें करने लगा। उसने दाढ़ी बढ़ा ली थी। वह घर में नमाज पढ़ने लगा था। 2008 के बाद उसका इस्लाम के प्रति झुकाव शुरू हो गया था।
तपेश ने बताया, “सौरभ अपने हिंदू दोस्तों से इस्लाम कबूल करने के लिए बोलता था। वह उनसे कहता था कि मरने के बाद मैं जन्नत में मजे करूँगा। मेरा दोस्त दोजख (जहन्नुम) में तड़पेगा, तो ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा। जब अल्लाह ताला हम सबको उठाएँगे, तो वहाँ सबका हिसाब-किताब होगा। मैं नहीं चाहता कि उस दौरान तू दोजख की लाइन में खड़ा हो और मैं जन्नत की। मुझे इससे बड़ी तकलीफ होगी। मैं वहाँ शहद की नदियाँ, दूध की नदियाँ और शराब की नदियाँ देखूँगा और तुझे दोजख की आग में जलाया जाएगा, तो मुझे बड़ा दुख होगा।”
तपेश के अनुसार सौरभ ने उनको मेमोरी कार्ड में लोड कर कुरान का ऑडियो भी दिया था। उनसे कहा था कि जब भी फ्री हो, इसको सुनते रहना। उन्होंने बताया, “मैंने सुना भी, लेकिन पूरा नहीं सुन पाया। सौरभ ने मुझे हदीस भी दी, जिससे मेरा मन परिवर्तित होने लगा था। वो मुझे अपने साथ नमाज पढ़ने के लिए भी ले गया था।” उन्होंने बताया है कि सौरभ अल्लाह को ही सब कुछ मानने लगा था। वह कहता था, “ईश्वर मतलब अल्लाह ही होता है। जो मूर्ति इंसान ने बनाई हैं, उसे पूजने का क्या मतलब है? जो प्रसाद तुम चढ़ाते हो, तुम्हारे भगवान की मूर्ति पर यदि कोई मक्खी बैठ गई है। तुम्हारी मूर्ति वो मक्खी भी नहीं हटा पा रही है, तो वो भगवान कैसे हो सकता है? भगवान राम कपोल कल्पना हैं। वो तो एक कथा है। एक काव्य है।”
उन्होंने बताया, “एक बार मस्जिद में हमने नमाज पढ़ी। वहाँ दावत चल रही थी। उसने मुझे वहाँ बैठने को कहा। मैं सामने बैठ गया। थाली में बिरयानी परोसी गई, जिसमें मटन-चिकन था। मैंने कहा कि मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ। मैंने खाने से मना कर दिया। लेकिन सौरभ मुझे इसे खाने के लिए कहता रहा। उसने कहा कि ये तो अल्लाह की तरफ से है। फिर मैं वहाँ से उठकर बाहर आ गया और इसके बाद सौरभ से दूरियाँ बढ़ा ली।”
बता दें कि मोहम्मद सलीम हैदराबाद में एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी के डेक्कन कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के बायोटेक्निकल डिपार्टमेंट में प्रोफेसर था। उसके माता-पिता ने मीडिया को बताया था कि वीआईटी कॉलेज में पढ़ाने के दौरान सौरभ की मुलाकात प्रोफेसर कमाल से हुई थी। कमाल ने ही उसका ब्रेनवॉश किया और उसकी मुलाकात मुंबई ले जाकर जाकिर नाईक से करवाई। पिता के अनुसार, नाईक ने भोपाल में कई लोगों को कन्वर्ट किया था। उनके बेटे के धर्मांतरण में भी नाईक का हाथ था।