अमेरिका ने भारत को एंटी सबमरीन हथियार जिसे एंटी सबमरीन वारफेयर Sonobuoys देने की मंजूरी दे दी है। यह रक्षा सौदा लगभग 52.8 मिलियन डॉलर (443 करोड़ रुपए) का है। फिलहाल भारतीय नौसेना में बहु-मिशन एमएच-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों के लिए यह पनडुब्बीरोधी युद्ध (ASW) और उससे संबंधित उपकरणों को बेचने की मंजूरी दी गई है। इससे भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ जाएगी।
यह रक्षा सौदा उस समय हुआ है, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चार दिन पर अमेरिका में हैं। अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि आज (यानी शनिवार) को कॉन्ग्रेस को इस संभावित बिक्री के बारे में सूचित कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी अमेरिका के रक्षा विभाग के अंतर्गत एक एजेंसी है।
"The Secretary of State has approved a possible Foreign Military Sale to the Government of India of Anti-Submarine Warfare Sonobuoys and related equipment for an estimated cost of $52.8 million. The Government of India has requested to buy AN/SSQ-53G High Altitude Anti-Submarine… pic.twitter.com/G0YK8aITxX
— ANI (@ANI) August 24, 2024
एजेंसी ने कहा कि एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोब्वॉयज भारत को बेचने के लिए विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संभावित विदेशी सैन्य खरीद को मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने अमेरिका से AN/SSQ-53G हाई एल्टीट्यूड एंटी सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोब्वॉयज, AN/SSQ-62F HAASW सोनोब्वॉयज, AN/SSQ-36 सोनोब्वॉयज, टेक्निकल और पब्लिकेशंस एवं डाटा डॉक्यूमेंटशन, कॉन्ट्रैक्टर इंजीनियरिंग, टेक्निकल सपोर्ट, लॉजिस्टिक, सर्विस एवं सपोर्ट की खरीद करने का अनुरोध किया था।
बिडेन प्रशासन की अधिसूचना में कहा गया कि प्रस्तावित बिक्री द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और एक प्रमुख रक्षा साझेदार भारत की सुरक्षा में सुधार करने में मदद करके वॉशिंगटन की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी, जो ‘भारत-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति’ बना हुआ है।
अमेरिका यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार (23 अगस्त) को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की थी। राजनाथ सिंह ने ‘एक्स’ पर कहा, “मेरे प्रिय मित्र अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ शानदार बैठक हुई। हमने मौजूदा रक्षा सहयोग गतिविधियों की समीक्षा की तथा इसे प्रगाढ़ बनाने के तरीकों पर चर्चा की।”
उन्होंने आगे कहा था, “आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था पर हस्ताक्षर तथा प्रमुख अमेरिकी कमान में भारतीय अधिकारियों की तैनाती के लिए समझौता ऐतिहासिक घटनाक्रम हैं।” दरअसल, राजनाथ सिंह दोनों देशों के बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से गुरुवार (22 अगस्त) को अमेरिका पहुँचे। इस दौरान उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत की।