जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 8 ऐसे आतंकियों को गिरफ्तार किया जिनकी करीब 30 साल से तलाश थी। ये लोगों के बीच आम आदमी बन कर छिपे हुए थे। इनमें से दो ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली थी। एक शिक्षा विभाग में तो दूसरा अदालत में मुलाजिम है।
पकड़े गए इन आतंकियों पर अपहरण, हत्या, कश्मीरी हिन्दुओं और सुरक्षा बलों पर हमले के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में कानून की विभिन्न धाराओं के साथ टाडा और पोटा के तहत केस दर्ज है। इनकी गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि गुरुवार (31 अगस्त 2023) को की गई। सुरक्षा एजेंसियों को शक है इसी तरह कई और फरार आतंकी भी छिपे हो सकते हैं।
गिरफ्तार आतंकियों में जम्मू के शहीदी चौक का आदिल फारुख फरीदी शिक्षा बोर्ड में काम करता है। वहीं डोडा का इश्तियाक अहमद अपने ही जिले की कोर्ट में टाइप राइटर के पद पर है। इनके अलावा इकबाल, मुजाहिद हुसैन, तारिक, एजाज और जमील और इश्तियाक पकड़े गए हैं। फरार होने के बाद शुरुआत में ये भूमिगत रहे और बाद में अपने घर के आसपास आम नागरिकों की तरह रहने लगे। SIA ने इन सभी को जम्मू की टाडा अदालत में पेश किया है।
गिरफ्तार 8 आतंकियों पर साल 1992 में डोडा में बंदूक के बल पर एक व्यक्ति का अपहरण कर जान से मारने की धमकी देने, 23-24 अप्रैल 1993 की रात 2 व्यक्तियों का अपहरण कर एक की हत्या व दूसरे को घायल करने, साल 1991 में लोगों को हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा के लिए भड़काने, साजिशन हड़ताल कराने जैसे आरोप हैं। साल 1993-94 में सुरक्षा बलों ने इनके द्वारा छिपाए गए हथियार और गोला-बारूद को जब्त कर लिया था। लेकिन कार्रवाई के दौरान ये सभी 8 आतंकी फरार होने में सफल रहे थे। बताया जा रहा है कि अपनी आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए इन सभी ने मस्जिदों का भी सहारा लिया था।
बताते चलें कि यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर की जाँच एजेंसी SIA और CID ने सामूहिक तौर पर की है। दोनों टीमों ने सामूहिक तौर पर भगोड़ों की तलाश का अभियान छेड़ रखा है। भगोड़ों की कुल तादाद 734 बताई जा रही है। इनमे से 417 भगोड़े कश्मीर और 317 जम्मू क्षेत्र से हैं। इनमें से 369 भगोड़ों का वेरिफिकेशन हो चुका है। लिस्ट में शामिल 80 भगोड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि 4 जेलों में बंद हैं। वहीं 45 ने देश छोड़ कर पाकिस्तान जैसे मुल्कों की शरण ली है, जबकि 127 का अभी तक अता-पता नहीं चल पाया है।