जम्मू-कश्मीर में हालात इस वक्त बेहद चिंताजनक हो गए हैं। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए) के बाद राज्य सरकार ने और कड़े सुरक्षा उपाय उठाए हैं, जिनका सीधा असर कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर पड़ा है।
जम्मू-कश्मीर सरकार के कदम:
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48 रिसॉर्ट बंद, कुल 87 पर्यटक स्थलों में से कई अस्थायी रूप से बंद किए गए।
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दूधपात्री, वेरीनाग जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल भी बंद।
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गुलमर्ग, डल झील, सोनमर्ग जैसे इलाकों में भारी सुरक्षा बल और एंटी-फिदायीन दस्तों की तैनाती।
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स्लीपर सेल्स के सक्रिय होने की खुफिया चेतावनी के बाद निर्णय।
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TRF (The Resistance Front) जैसे आतंकी संगठन नए हमले की तैयारी में, इसलिए एहतियातन कदम।
क्यों उठाए गए ये कदम?
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आतंकी खतरे की आशंका: पहलगाम हमले के बाद घाटी में हमलों की संभावना बढ़ गई है।
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सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी: स्थानीय और बाहरी पर्यटकों की जान की रक्षा के लिए।
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आर्थिक एवं सामरिक लक्ष्य: आतंकियों का मकसद कश्मीर की आर्थिक स्थिरता और सामान्य जीवन को फिर से बाधित करना है।
इसका क्या असर होगा?
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पर्यटन क्षेत्र पर तगड़ा झटका:
– गर्मी के मौसम में जब कश्मीर घूमने का पीक सीजन होता है, उस समय रिसॉर्ट बंद होने से हजारों लोगों की रोजगार पर असर पड़ेगा। -
आर्थिक मंदी का खतरा:
– होटल, टैक्सी, गाइड, फल विक्रेता और हस्तशिल्प उद्योग पर सीधा असर पड़ेगा। -
निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा:
– जो लोग पर्यटन और अन्य कारोबार में निवेश करना चाहते थे, वे अब पीछे हट सकते हैं। -
स्थानीय जनता की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित:
– सामान्य नागरिकों की आमदनी कम होगी, बेरोजगारी बढ़ सकती है।
भविष्य की दिशा:
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आने वाले हफ्तों में स्थिति के आकलन के आधार पर रिसॉर्ट और पर्यटन स्थल धीरे-धीरे दोबारा खोले जा सकते हैं।
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सुरक्षा बल सर्च ऑपरेशन्स, नाके और इंटेलिजेंस-आधारित कार्रवाइयों को और तेज करेंगे।
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सरकार को स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों के बीच विश्वास बहाली के लिए भी अभियान चलाने होंगे।
यह कदम भले ही अस्थायी रूप से घाटी के पर्यटन और व्यापार को नुकसान पहुंचा रहा हो, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह घाटी में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में जरूरी रणनीति है। सुरक्षा पहले, फिर विकास — यही मौजूदा स्थिति का संदेश है।