देश को आजादी मिले 75 साल गुजर चुके हैं, लेकिन अभी भी दूर दराज के कुछ इलाकों में बिजली नहीं पहुंची हैं. खासकर जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर मौजूद गांवों को अभी भी बिजली का इंतजार है.
कश्मीर के ऐसे ही दो गांव हैं, जहां 75 सालों बाद आखिरकार बिजली पहुंची है, जिससे गांव वालों के चेहरे पर मुस्कान आ गई है. जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा के केरन सेक्टर पर नियंत्रण रेखा के पास दो गांवों में आजादी के बाद पहली बार बिजली पहुंचाई गई.
दूरदराज के दो गांवों को तोहफा
कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास केरन के दूरदराज के गांवों कुंडियां और पतरू के 1300 लोगों के लिए यह खुशी का मौका था, क्योंकि उनके गांवों को पहली बार बिजली की आपूर्ति ग्रिड कनेक्टिविटी के जरिए हुई. KPDCL इलेक्ट्रिक डिवीजन, कुपवाड़ा द्वारा समृद्ध सीमा योजना (SSY) के तहत 250 केवी (33 KV/440 वोल्ट) के दो सब स्टेशन पूरे तरह चालू हो गए हैं. जिससे पूरे गांव में विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है. यहां के निवासी लंबे समय से निर्बाध बिजली आपूर्ति की मांग कर रहे थे. स्थानीय लोग इसलिए भी खुश थे, क्योंकि कई घरों में पहले बिजली कनेक्शन नहीं था. ऐसे में अपने आशियाने को बिजली से जगमगाता देख वो खुशी से झूम उठे.
समृद्ध सीमा योजना के तहत पहुंचाई गई बिजली
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, “एक ऐतिहासिक क्षण में, कुपवाड़ा जिले के केरन इलाके में कुंडियां और पतरू गांवों के निवासियों ने 75 वर्षों में पहली बार बिजली की खुशी का अनुभव किया.” उन्होंने कहा कि समृद्ध सीमा योजना के तहत स्थापित दो 250 केवी सब स्टेशनों का उद्घाटन कश्मीर के मंडलायुक्त वीके भिदुरी ने किया.
लोगों ने उपराज्यपाल का जताया आभार
प्रवक्ता ने कहा, “75 सालों बाद गांवों में बिजली की आपूर्ति के बाद स्थानीय निवासियों ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है. उपराज्यपाल के ही प्रयास से लंबे समय से अलग-थलग रहे समुदायों में ग्रिड कनेक्टिविटी पहुंचाई गई है. प्रवक्ता ने कहा, “जैसे ही गांव वालों के घर रोशनी से जगमगा उठे, वातावरण में खुशी और उल्लास भर गया, जो दशकों के लंबे इंतजार के अंत का प्रतीक था.”
महज 2 महीने में पूरे किए गए कनेक्शन के काम
उक्त प्रवक्ता ने बताया है कि दूर दराज के गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए कश्मीर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (केपीडीसीएल) इलेक्ट्रिक डिवीजन, कुपवाड़ा द्वारा विद्युतीकरण परियोजना को रिकॉर्ड दो महीने में पूरा किया गया.
आपको बता दें कि एलओसी पर सुरक्षा के लिहाज से दूर दराज के क्षेत्रों में इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड का निर्माण कार्य नहीं किया गया था. हालांकि धीरे-धीरे हालात सुधरने पर इस दिशा में बड़े पैमाने पर काम हो रहा है, जिससे उन क्षेत्रों में भी बिजली पहुंचाई जा रही है जहां आज तक लोग इलेक्ट्रिसिटी से रोशनी के लिए तरस रहे थे.