गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को रेखांकित करते हुए पुस्तक ‘J&K and Ladakh Through the Ages’ के विमोचन के अवसर पर कश्मीर के महत्व और धारा 370 के हटने के बाद हुए सकारात्मक बदलावों पर चर्चा की।
उनके मुख्य वक्तव्य:
- कश्मीर का नाम और सांस्कृतिक धरोहर:
- शाह ने कहा कि कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम से हो सकता है। उन्होंने शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिष मठ का उल्लेख करते हुए बताया कि कश्मीर भारत की संस्कृति का मूल स्थान रहा है।
- सूफी, बौद्ध, और शैल मठों के विकास को कश्मीर की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण बताया।
- स्थानीय भाषाओं का संरक्षण:
- कश्मीरी, डोगरी, बालटी, और झंस्कारी भाषाओं को मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की।
- शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री का हमेशा से यह प्रयास रहा है कि जम्मू-कश्मीर की हर छोटी भाषा को संरक्षित किया जाए।
- धारा 370 और 35ए का हटना:
- अमित शाह ने कहा कि धारा 370 और 35ए केवल देश को विभाजित करने वाले प्रावधान थे।
- संविधान सभा में भी इन धाराओं को अस्थायी माना गया था। मोदी सरकार ने इन्हें हटाकर “कलंकित अध्याय” को समाप्त किया और कश्मीर में विकास के नए रास्ते खोले।
- आतंकवाद पर प्रभाव:
- धारा 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया, जिससे घाटी में आतंकवाद फैला। लेकिन इसके हटने के बाद से कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है और शांति स्थापित हो रही है।
शाह के वक्तव्य का महत्व:
- गृह मंत्री का यह बयान कश्मीर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करने और मोदी सरकार के सुधारात्मक कदमों को रेखांकित करता है।
- स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का यह प्रयास क्षेत्रीय और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।
- धारा 370 और 35ए के हटने के बाद कश्मीर में विकास, शांति और स्थिरता के प्रयासों पर सरकार का फोकस स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
अमित शाह का यह भाषण कश्मीर को भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग बताते हुए केंद्र सरकार की नीतियों को जनता के सामने प्रस्तुत करता है। उनके विचार कश्मीर में सरकार के विकासशील दृष्टिकोण और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को रेखांकित करते हैं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास, संस्कृति और महत्त्व को दर्शाती 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम से लाइव…
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— Amit Shah (@AmitShah) January 2, 2025
भारत की सीमा सांस्कृतिक परंपरा पर आधारित
उन्होंने कहा किकश्मीर के इतिहास को पुस्तक के जरिए स्थापित करने की कोशिश की गई है. एक स्थान पर कश्मीर पर इस पुस्तक में प्रमाण के साथ इतिहास बताया गया है. भारत पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जिसकी बाउंड्री सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर है, इसीलिए कश्मीर से कन्याकुमारी भारत एक है. भारत को समझने का प्रयास तभी सच्चा हो सकता है, जब जियो संस्कृति के कल्चर को समझना होगा.
हमारे देश के तोड़नेवाले तथ्यों को समझना होगा.. तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया.. इतिहास को वक्र दृष्टिकोण से कुछ लोगों ने देखा.. इस पुस्तक से एक बात सिद्ध हो गई है भारत के कोने कोने में संस्कृति के अंश तो बिखरे हुए हैं कई अंश वो कश्मीर से आए हैं.
कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा. अलग करने का प्रयास लोगों ने किया था, लेकिन उस बाधा को भी हटा दिया गया है. कश्मीर में जो मंदिर मिले हैं, उसका जिक्र इस पुस्तक में है वो दिखाता है कि कश्मीर का भारत से न टूटनेवाला जोड़ है.
उन्होंने कहा किलद्दाख में तोड़े गए मंदिर, संस्कृत का कश्मीर में इस्तेमाल और कश्मीर पर आजादी के बाद गलतियां फिर उसके सुधार की प्रक्रिया सब का जिक्र इस पुस्तक में है.