श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड – पुनर्गठन 2025:
बोर्ड अध्यक्ष:
- मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, बोर्ड के पदेन अध्यक्ष हैं।
नव-नामित सदस्य (कुल 9):
क्रमांक | नाम | पृष्ठभूमि |
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1. | सुधा मूर्ति | समाजसेवी, लेखिका, इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरपर्सन |
2. | महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरिजी महाराज | धार्मिक गुरु (2022 से भी सदस्य) |
3. | डॉ. अशोक भान (IPS) | पूर्व पुलिस महानिदेशक, लेखक |
4. | बालेश्वर राय (IAS) | पूर्व प्रशासनिक अधिकारी |
5. | गुंजन राणा | (भूमिका स्पष्ट नहीं, संभवतः सामाजिक क्षेत्र की हस्ती) |
6. | डॉ. के.के. तलवार | हृदय रोग विशेषज्ञ, पूर्व AIIMS निदेशक |
7. | कुलभूषण आहूजा | (संभावित उद्योगपति/प्रशासनिक पृष्ठभूमि) |
8. | ललित भसीन | प्रमुख वकील, बार काउंसिल सदस्य |
9. | सुरेश कुमार शर्मा | सेवानिवृत्त न्यायाधीश |
🟨 नोट: केवल एक नाम – सुधा मूर्ति – नया जोड़ा गया है, जबकि के.के. शर्मा (AIMIL फार्मा प्रमुख) को बाहर किया गया है।
पृष्ठभूमि:
- पिछला पुनर्गठन: मार्च 2022 में हुआ था।
- मूल उद्देश्य: वैष्णो देवी श्राइन की बेहतर व्यवस्था, दर्शन में सुगमता, आधुनिक सुविधाएं।
- प्रबंधन: यह बोर्ड मंदिर की सम्पत्तियों, सेवाओं और आय का संचालन करता है।
रोपवे प्रोजेक्ट और स्थानीय विरोध:
रोपवे योजना:
- श्री माता वैष्णो देवी मंदिर तक रोपवे सेवा (Cable Car) शुरू करने की योजना।
- श्रद्धालुओं की संख्या और सुविधा के लिहाज से यह कदम प्रभावी माना गया।
स्थानीय विरोध के मुख्य कारण:
- रोजगार संकट: बड़ी संख्या में स्थानीय लोग—खच्चर-घोड़ा मालिक, कुली, गाइड आदि—मंदिर यात्रा से रोजी-रोटी कमाते हैं।
- परंपरा पर असर: यात्रा का पारंपरिक तरीका (पैदल/घोड़े से चढ़ाई) खत्म हो सकता है।
- बोर्ड पर अविश्वास: लोगों ने कहा कि बोर्ड स्थानीय हितों की अनदेखी कर रहा है; इसे भंग करने की मांग उठी।
विश्लेषण और संभावित आगे की राह:
- सुधा मूर्ति जैसी प्रतिष्ठित सामाजिक हस्ती को बोर्ड में शामिल करने से बोर्ड की सार्वजनिक छवि सुधारने का प्रयास दिखता है।
- विरोध को संबोधित करना अनिवार्य होगा, अन्यथा परियोजनाएं लंबे समय तक विवादों में फँसी रह सकती हैं।
- प्रशासन को चाहिए कि रोपवे जैसी परियोजनाओं के साथ स्थानीय पुनर्वास योजनाएं भी घोषित करे, जिससे प्रभावित लोगों को वैकल्पिक रोजगार मिले।