जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष कर रहे सुरक्षा बलों को पिछले 10 वर्षों में बड़ी सफलता मिली है। आँकड़ों के मुताबिक, राज्य में होने वाले आतंकी हमलों में काफी गिरावट आई है। सुरक्षा बलों को भी साल 2014 के मुकाबले इस साल काफी कम नुकसान हुआ है। इस बदलाव के पीछे स्थानीय लोग आर्टिकल 370 हटना और कई क्षेत्रों में विकास कार्य होना बता रहे हैं। हालाँकि जम्मू क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत में साल 2010 के मुकाबले इस बार गिरावट दर्ज की गई है।
साल 2024 में 27 सितंबर तक जम्मू क्षेत्र में आतंकी 15 हमलों को अंजाम दे पाए हैं। इन हमलों में 11 आम नागरिक मारे गए। हमलों के बाद सुरक्षा बलों की आतंकियों से मुठभेड़ भी हुई। इन मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों के 17 जवानों को वीरगति मिली है। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में जम्मू क्षेत्र में 10 आतंकी भी ढेर किए गए हैं। अमूमन जम्मू के मुकाबले अधिक अशाँत रहने वाले कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद के आँकड़े जम्मू के मुकाबले पिछले 1 दशक में काफी कम हैं।
कश्मीर जोन की बात करें, तो कश्मीर में इस साल अब तक कुल 8 आतंकी हमले हुए हैं। इन हमलों में सुरक्षा बलों के 4 जवानों को वीरगति मिली है। आतंकियों द्वारा मारे गए आम नागरिकों की संख्या 5 है। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में कश्मीर क्षेत्र में कुल 35 आतंकी ढेर हुए हैं। जम्मू और कश्मीर मिला कर इस साल अब तक कुल 23 आतंकी हमले हुए हैं। इन आतंकी हमलों में सुरक्षा बलों के कुल 25 जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं। मारे गए आम नागरिकों की तादाद 16 बताई गई है।
क्या थे 2014 के आँकड़े
बताते चलें कि 10 साल पहले 2014 में हालात बदतर थे। तब जम्मू और कश्मीर मिला कर 222 आतंकी हमले हुए थे। इन हमलों में सुरक्षा बलों के 47 जवान बलिदान हुए थे। इसी दौरान 29 आम नागरिकों की भी जान चली गई थी। तब सुरक्षा बलों से हुई मुठभेड़ों के बाद कुल 110 आतंकी ढेर हुए थे। इस बदलाव के पीछे की वजह स्थानीय लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटना और विकास कार्यों में तेजी आने को बताया है।