झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सरफराज अहमद और भाजपा के प्रदीप वर्मा गुरुवार को झारखंड से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए। रिटर्निंग ऑफिसर सैयद जावेद हैदर ने उन्हें निर्वाचन का प्रमाण पत्र सौंपा। हैदर ने बताया कि झारखंड में दो राज्यसभा सीटों के लिए केवल दो उम्मीदवार मैदान में थे, इसलिए उन्हें निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया।
संसद के उच्च सदन में झारखंड की आवाज बनने की कोशिश करूंगा: प्रदीप वर्मा
प्रमाण पत्र लेने के बाद प्रदीप वर्मा ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपने के लिए भाजपा नेतृत्व को धन्यवाद दिया। राज्य भाजपा के महासचिव ने कहा कि पार्टी ने मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी दी है। मैं इसके लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को धन्यवाद देता हूं। मैं संसद के उच्च सदन में झारखंड की आवाज बनने की कोशिश करूंगा।
झारखंड से संबंधित मुद्दों को राज्यसभा में उठाएंगे: अहमद
जनवरी में विधायक पद से इस्तीफा देने वाले अहमद ने कहा कि वह झारखंड से संबंधित मुद्दों को राज्यसभा में उठाएंगे। अहमद पीएचडी हैं। उनका राजनीति अनुभव भी काफी लंबा है। वे पहली बार 1980 में अविभाजित बिहार में विधायक के रूप में चुने गए। उन्होंने संसद में 1984 से 1989 तक गिरिडीह का प्रतिनिधित्व किया।
कार्यकाल 3 मई को समाप्त हो जाएगा
दरअसल, दो मौजूदा सांसदों भाजपा के समीर ओरांव और कांग्रेस के दिरज प्रसाद साहू का कार्यकाल 3 मई को समाप्त हो जाएगा। इन्हीं दोनों सीटों के भरने के लिए यह प्रक्रिया की गई। झारखंड में राज्यसभा की छह सीटें हैं। अन्य चार में से दो-दो पर राज्य की सत्तारूढ़ झामुमो और विपक्षी भाजपा का कब्जा है।
11 मार्च को दोनों प्रत्याशियों ने दाखिल किया था पर्चा
बीजेपी प्रत्याशी डॉ प्रदीप वर्मा और इंडिया गठबंधन से प्रत्याशी डॉ सरफराज अहमद ने 11 मार्च को राज्यसभा चुनाव को लेकर नामांकन दाखिल किया था. डॉ प्रदीप वर्मा ने उसी दिन नामांकन पत्र खरीदकर पर्चा भरा था, जबकि नाम पर मुहर लगने से पहले ही डॉ सरफराज अहमद ने नामांकन पत्र खरीद लिया था.
नामांकन से पहले नाम पर लगी थी मुहर
इंडिया गठबंधन ने नामांकन दाखिल करने से एक दिन पहले डॉ सरफराज अहमद के नाम पर मुहर लगाई थी. हालांकि, उन्होंने पहले ही नामांकन पत्र ले लिया था. डॉ सरफराज अहमद गांडेय विधानसभा से विधायक थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
मुंबई के उद्योगपति हरिहर माहापात्रा को नहीं मिला था प्रस्तावक
मुंबई के उद्योगपति हरिहर महापात्रा ने राज्यसभा चुनाव को लेकर नामांकन पत्र खरीदा था, लेकिन वे विधायकों को प्रस्तावक के लिए तैयार नहीं कर पाए. इस वजह से उन्होंने खुद को चुनाव से दूर कर लिया था. सत्ता पक्ष व विपक्ष से एक-एक उम्मीदवार थे.