कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका (HDMP) ने उसी ईदगाह में गणेशोत्सव समारोह को मनाने की मंजूरी दी है, जिसे लेकर कभी दो-दो मुख्यमंत्रियों को अपनी कुर्सी गँवानी पड़ी थी। इसी ईदगाह मैदान पर तिरंगा फहराने पहुँचे राष्ट्रभक्तों को साल 1994 में तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने गोलियों से भुनवा दिया था। उस गोलीकांड में 5 राष्ट्रभक्तों की मौत हो गई थी। लेकिन हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका (एचडीएमपी), जहाँ भाजपा सत्ता में है, उसने इस साल भी ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव के आयोजन की मंजूरी दी है।
हुबली-धारवाड़ महानगरपालिका की दूसरी छमाही में सूचीबद्ध अतिरिक्त विषयों की सूची में ईदगाह मैदान में गणेशोत्सव का मुद्दा आखिरी था। इस बार जैसे ही चर्चा की शुरुआत हुई, कॉन्ग्रेस और AIMIM के पार्षदों ने इसका तीखा विरोध किया। दोनों दलों के पार्षदों का कहना था कि पूर्व सूचना के बगैर ही इस मुद्दे को उठाया गया, जिसके बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। हालाँकि, हंगामे के बीच महापौर वीणा बराडवाड ने गणेशोत्सव को मंजूरी दे दी।
ये निर्णय गुरुवार (31 अगस्त, 2023) को लिया गया। इस मामले पर हंगामे के बीच भाजपा के पार्षदों ने कहा कि अतिरिक्त विषयों को चर्चा में शामिल करना महापौर का विशेषाधिकार है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। बता दें कि पिछले साल भी ईदगाह मैदान पर ही गणेशोत्सव मनाया गया था। ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए गणेशोत्सव को मंजूरी दे दी। इस मैदान को लेकर तनातनी काफी पुरानी है।
हुबली के ईदगाह मैदान पर तिरंगा फहराने को लेकर अतीत में बड़ा विवाद हो चुका है। साल 1994 में इस विवाद को तत्कालीन कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री वीरप्पा मोईली ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद से जोड़ते हुए कहा था कि यहाँ गोलियाँ चलेंगी। उन्होंने तिरंगा फहराने की कोशिश करने वाले राष्ट्रभक्तों पर गोलियाँ भी चलवाईं, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इसी मामले में घटना के सालों बाद उमा भारती को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद गँवाना पड़ा था। वो पूरा घटनाक्रम आप यहाँ पर पढ़ सकते हैं।