प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र को हिरासत में लिया। उन पर कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड में कथित अनियमितताओं से जुड़ी मनी-लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है। सूत्र ने बताया कि कांग्रेस विधायक को पूछताछ के लिए उनके आवास से ईडी कार्यालय लाया गया। अपने ऊपर लगे घोटाले के आरोपों के बाद नागेंद्र ने छह जून को अपना इस्तीफा दे दिया। वह अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री थे।
Bengaluru: Former Karnataka Minister and Congress leader B Nagendra taken into custody by Enforcement Directorate (ED) in connection with Valmiki Corporation scam case.
More details awaited.
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— ANI (@ANI) July 12, 2024
पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय लाए जाने के बाद कांग्रेस विधायक नागेंद्र ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “मुझे मेरे घर से यहां लाया गया। मुझे कुछ भी नहीं मालूम।” बता दें कि ईडी पिछले दो दिनों से कई अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही हैं, जिसमें नागेंद्र और सत्तारूढ़ कांग्रेस विधायक बसनगौड़ा दद्दल का परिसर भी शामिल है। एजेंसी ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के 20 इलाकों में छापेमारी की।
निगम के अकाउंट सुप्रींटेंडेंट चंद्रशेखरन पी. के 26 मई को आत्महत्या करने के बाद अवैध धन हस्तांतरण का मामला सामने आया। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने एक चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के ट्रांसफर किए जाने का दावा किया गया। उसमें से 88.62 करोड़ रुपये अवैध रूप से प्रसिद्ध आईटी कंपनियों और हैदराबाद स्थित सहकारी बैंक सहित अन्य के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए थे। अपनी चिट्ठी में चंद्रशेखरन ने निगम के प्रबंध निदेशक जेजी पद्मनाभ (जो फिलहाल निलंबित है), अकाउंट अफसर परशुराम जी दुरुगन्नावर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल के नाम का जिक्र किया था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि मंत्री ने उन्हें मौखिक रूप से रूपये ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे।