13 वर्ष पहले केरल के प्रोफेसर TJ जोसेफ पर इस्लाम के अपमान का आरोप लगाते हुए उनका हाथ काट डाला गया था। अब मंगलवार (11 जुलाई, 2023) को NIA की विशेष अदालत ने इस मामले में 6 आरोपितों को दोषी ठहराया है, वहीं 5 को दोषमुक्त करार दिया है। गुरुवार को दोपहर 3 बजे इस मामले में सज़ा सुनाई जाएगी। प्रोफेसर TJ जोसेफ पर एक परीक्षा पत्र में इस्लाम के अपमान का आरोप PFI ने लगाया था। ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ अब एक प्रतिबंधित संगठन है।
इस इस्लामी कट्टरपंथी संगठन के गुंडों ने केरल के प्रोफेसर का हाथ काट डाला था। ये घटना 4 जुलाई, 2010 को हुई थी। हमलावरों ने एक क्रूड बम ब्लास्ट किया था। प्रोफेसर TJ जोसेफ की बाईं हथेली इस हमले में क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद हमलावर वहाँ से भाग निकले थे। घटना एर्नाकुलम के मुवत्तुपुझा में हुई थी, जहाँ रविवार को चर्च में होने वाले सामूहिक प्रेयर के बाद वो परिवार के साथ घर लौट रहे थे। हालाँकि, कई घंटों तक चली सर्जरी के बाद डॉक्टर उनका हाथ वापस जोड़ने में कामयाब रहे थे।
जज अनिल भास्कर ने अब इस मामले में 6 आरोपितों को दोषी करार दिया है। इन सभी पर हत्या के प्रयास का आरोप साबित हुआ है। सुनवाई के दूसरे चरण में IPC की धाराओं के साथ-साथ UAPA के तहत भी उन्हें दोषी पाया गया। सुनवाई के पहले चरण में 31 आरोपितों के खिलाफ ट्रायल चला था, जिनमें से 10 को अप्रैल 2015 में UAPA के अलावा विस्फोटक अधिनियम के तहत भी दोषी पाया गया था। 3 अन्य को अपराधियों को शरण देने का दोषी पाया गया था।
वहीं 18 अन्य इस मामले में बरी कर दिए गए थे। हमलावरों में कुल 7 गुंडे थे जिन्होंने प्रोफेसर TJ जोसेफ को उनके परिवार के सामने गाड़ी से घसीट कर बाहर निकाला था। इसके बाद मुख्य आरोपित सवाद द्वारा उनके हाथ को काट डाला गया था। बड़ी बात ये है कि वो अब तक फरार है। फैसले पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर ने कहा कि असली आरोपित तो वो हैं जिन्होंने भड़काया और साजिश रची। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अब भी बाहर खुला घूम रहे हैं।
जिन्हें दोषी साबित किया गया है, उनके नाम हैं – नस्सर, साजिल, नजीब, नौशाद, कुंजू और अयूब। वहीं शफीक, अजीज, रफ़ी, ज़ुबैर और मंसूर को दोषमुक्त करार दिया गया। NIA की चार्जशीट में असमान्नुर सवाब मुख्य आरोप है जिसने हाथ काटा था, उसे अब तक पुलिस नहीं पकड़ पाई है। केरल पुलिस पहले इस मामले की जाँच कर रही थी, लेकिन 9 मार्च, 2011 को NIA ने इसे अपने हाथ में ले लिया। कोच्चि स्थित अदालत ने ये फैसला दिया है।