कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए उम्र को लेकर मंगलवार (19 सितंबर 2023) एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार को देश में सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए उम्र की न्यूनतम सीमा तय करने पर सोचना चाहिए।
हाईकोर्ट ने सुझाव दिया है कि युवाओं, खासकर स्कूली बच्चों के लिए सोशल मीडिया तक पहुँच प्रतिबंधित की जानी चाहिए। इसके साथ ही प्रस्ताव दिया है कि उनके वोट देने के अधिकार की उम्र 18 या 21 तक ही उन तक इसकी पहुँच होनी चाहिए।
कोर्ट इस मामले पर बुधवार (20 सितंबर) को फैसला सुनाएगा। कोर्ट एक्स कॉर्प यानी पहले के ट्विटर इंक की दायर एक रिट अपील पर सुनवाई कर रहा है। इसमें केंद्र सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कुछ ट्वीट्स को ब्लॉक करने के लिए कहा गया था।
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस जी नरेंद्र और विजयकुमार ए पाटिल की बेंच ने एक्स कॉर्प (पहले ट्विटर इंक) की 30 जून 2023 के सिंगल जज के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही है। दरअसल, सिंगल बेंच ने सोशल मीडिया कंपनी एक्स द्वारा केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभिन्न आदेशों के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही आदेशों का पालन न करने पर उस पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
इस मामले में फिर से सुनवाई शुरू करते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि हाल ही में स्कूल जाने वाले बच्चे सोशल मीडिया के इतने आदी हो गए हैं कि यह देश लिए बेहतर होगा कि ये उनके लिए प्रतिबंधित हों। जस्टिस जी नरेंद्र ने कहा, “सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाएँ। बहुत कुछ अच्छा होगा। आज स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं। मुझे लगता है कि आबकारी नियमों की तरह (इसकी भी) एक उम्र सीमा तय होनी चाहिए।”
आबकारी से कोर्ट का मतलब शराब पीने के लिए निर्धारित कानूनी उम्र से है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए भी एक उम्र सीमा तय करना सही होगा। कोर्ट ने आगे कहा, “बच्चे 17 या 18 साल के हो सकते हैं, लेकिन क्या उनमें यह फैसला लेने की परिपक्वता है कि देश के हित में क्या (अच्छा) है और क्या नहीं? न केवल सोशल मीडिया पर, बल्कि इंटरनेट पर भी ऐसी चीजें हटाई जानी चाहिए, जो मन को विषाक्त करती हैं। सरकार को सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए एक उम्र सीमा निर्धारित करने पर भी विचार करना चाहिए।”
बेंच ने इस दौरान इशारा किया कि वह अपीलकर्ता की दायर दो अंतरिम अपीलों (आईए) पर बुधवार को आदेश पारित करेगी। इसमें मामले से जुड़े अन्य सबूत जोड़ने की माँग भी शामिल है। बेंच ने आगे कहा कि जाँच का एकमात्र पहलू यह है कि क्या संबंधित सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए (1) और (2) का उल्लंघन करती है।
कोर्ट ने आगे कहा, “यदि इन प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है तो अपीलकर्ता (एक्स कॉर्प) को रोक लगाने वाले आदेशों का पालन करना होगा।” इससे पहले, अमेरिका की मल्टी-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने आदेश को चुनौती इस आधार पर दी है कि सोशल प्लेटफॉर्म पर एकाउंट को ब्लॉक करने की कानूनी व्याख्या महज सिंगल जज की टिप्पणियों के आधार पर की गई है।