सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, केरल न्यायपालिका में 72 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं हैं. उन्होंने कहा, केरल आशाजनक तस्वीर पेश करता है.
दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार को इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. डीवाई चंद्रचूड़ इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं, साथ ही इस सम्मेलन में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi attends the inaugural event of the 2-day National Conference of District Judiciary at Bharat Mandapam, in Delhi
Union Minister Arjun Ram Meghwal, CJI DY Chandrachud and President of Supreme Court Bar Association, Kapil Sibal also present at… pic.twitter.com/89yml1tQnd
— ANI (@ANI) August 31, 2024
महिलाओं की बढ़ रही संख्या
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में जिला अदालतों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, केरल इसमें सबसे आगे रहा है, जहां 72 प्रतिशत न्यायाधीश महिलाएं हैं. महिलाओं की न्यायपालिका में बढ़ती भागीदारी को सीजेआई ने भविष्य की एक आशाजनक न्यायपालिका की तस्वीर करार दिया.
उन्होंने कहा, साल 2023 में राजस्थान में सिविल जजों की कुल भर्ती में 58% महिलाएं थीं. राजधानी दिल्ली में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों में 66% महिलाएं थीं, उत्तर प्रदेश में साल 2022 में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के लिए नियुक्तियों में 54% महिलाएं थीं, केरल में न्यायिक अधिकारियों की कुल संख्या में से 72% है.
CJI ने बताया कैसे न्यायिक ढांचा होगा मजबूत
सीजेआई ने कहा कि ग्रामीण अदालत की एक युवा महिला जिला न्यायाधीश ने हाल ही में उनसे अपने अनुभव साझा किए, महिला जज ने सीजेआई को बताया कि बार के बाकी सारे जज को जितना सम्मान दिया जाता हैं उतना युवा महिला जज को नहीं दिया जाता. इस बात को सामने रखते हुए सीजेआई ने कहा, ऐसा लगता है कि महिला जज को जो सम्मान नहीं दिया जा रहा है उसकी वजह उनकी उम्र और जेंडर है, जोकि गलत है. ऐसे उदाहरण निराशाजनक हो सकते हैं. ऐसे समय में अपने युवा सहयोगियों को आपको समर्थन करना चाहिए जोकि न्यायिक संस्थान के ढांचे को मजबूत करेगा.
जिला अदालत काफी अहम
जिला अदालतों की जिम्मेदारी पर सीजेआई ने कहा कि कई नागरिक वकीलों का खर्च उठाने में असमर्थ हैं. उनमें वैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी है और अदालतों तक पहुंचने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं. ऐसे में जिला अदालत के न्यायधीश इन लोगों की मदद करते हैं, इनके अधिकारों की रक्षा करते हैं. सीजेआई ने कहा, हमारे काम की कामयाबी इसी में है कि नागरिक क्या सोचते हैं, वहीं तय करते हैं कि उन्हें हम पर भरोसा है या नहीं और समाज के प्रति हमारी अपनी जवाबदेही की यहीं परीक्षा होती है.
Delhi | CJI DY Chandrachud addresses the inaugural event of the 2-day National Conference of District Judiciary, at Bharat Mandapam
He says, "Statistics on the National judicial data grid shows the district judiciary is often the final point of contact a litigant has with the… pic.twitter.com/ZV79bOTLpI
— ANI (@ANI) August 31, 2024
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, जिला न्यायपालिका को एक जबरदस्त जिम्मेदारी निभाने के लिए गठित किया गया था और इसे ‘न्यायपालिका की रीढ़’ माना जाता है. साथ ही उन्होंने जोर दिया कि जिला न्यायपालिका का काफी महत्व है और इन्हें सुबोर्डिनटे जूडिशीएरी (Subordinate Judiciary) नहीं कहा जाना चाहिए.
जिला अदालत कानून का बुनियादी ढांचा
सीजेआई ने न्यायपालिका के महत्व को सामने रखते हुए कहा, जिला अदालत कानून के बुनियादी ढांचे के विकास की देखरेख करते हैं, वे अपने काम के दौरान पैरालीगल, कानूनी सहायता समितियों और लोक अदालतों के साथ काम करते हैं. सीजेआई ने जिला अदालतों के जजों से कहा कि युवा वकील, जो सीधे यूनिवर्सिटी से कोर्ट में आते हैं और अपने सफर की शुरुआत करते हैं उन्हें जिला अदालतों के जज गाइड करें.