केरल हाई कोर्ट ने 2012 में कम्युनिस्ट नेता टीपी चंद्रशेखरन की सनसनीखेज हत्या मामले में मंगलवार को 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक हत्याओं पर गंभीर कार्रवाई का यही अवसर है, क्योंकि ये लोकतांत्रिक सिद्धांतों को हाशिए पर ले जाती हैं।
रिवोल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) नेता चंद्रशेखरन की चार मई, 2012 को कोझिकोड के ओंचियाम में हत्या कर दी गई थी। जस्टिस एके जयसंकरण नांबियार और जस्टिस कौसेर एडाप्पागत ने हत्या के लिए दोषी करार दिए गए 11 में से 10 लोगों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकार रखा।
केके कृष्णन और जेओथी बाबू को भी उम्रकैद
हाई कोर्ट ने दो अन्य केके कृष्णन और जेओथी बाबू को भी उम्रकैद की सजा सुनाई। निचली अदालत ने दोनों को बरी कर दिया था। इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट ने प्रमाण नष्ट करने के दोषी ठहराए गए और तीन वर्ष जेल की सजा पाए लांबू प्रदीप की सजा भी बरकरार रखी।
कोर्ट की राजनीतिक हत्याओं पर गंभीर टिप्पणी
निचली अदालत से उम्रकैद की सजा पाए कुन्हानंदन की अपील लंबित रहने के दौरान मौत हो गई। राजनीतिक हत्याओं पर गंभीर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की संवैधानिक गारंटी का उपयोग करने से रोकने वाले ऐसे अपराधों से कठोरता से निपटा जाना चाहिए।’
चंद्रशेखरन की विधवा पत्नी ने दायर की थी अपील याचिका
टी पी चन्द्रशेखरन की विधवा पत्नी केके रेमा द्वारा एक और अपील याचिका दायर की गई थी, जिसमें बरी किए गए अन्य आरोपी को दोषी ठहराने की मांग की गई थी। कोझिकोड की ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सीपीआई (एम) के जिला सचिव पी मोहनन सहित 24 आरोपियों को बरी कर दिया था। कोझिकोड अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2014 में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और एक अन्य आरोपी लंबू प्रदीप को तीन साल की जेल की सजा सुनाई। दोषियों में सीपीआई (एम) के स्थानीय नेता के सी रामचंद्रन और दिवंगत कुन्हानंदन शामिल हैं।