इस साल 19 मार्च को 1,500 कानून के छात्रों ने बार काउंसिल ऑफ केरल के वकीलों के रूप में शपथ ली. छात्रों में, नामांकन करने वालों में सबसे पहली थीं कोच्चिकी 27 वर्षीय ट्रांस महिला पद्मा लक्ष्मी. उन्होंने उस दिन राज्य की पहली ट्रांसजेंडर वकील बनकर इतिहास रच दिया. पद्मा ने फिजिक्स से ग्रेजुएशन किया है. अपने इस सफर में पद्मा ने कई चुनौतियों का सामना किया जिसके बाद वो इस मुकाम तक पहुंचीं. इस सफर के बारे में पद्मा ने एक न्यूज वेबसाइट से बात की. आइए जानते है कितना मुश्किल था उनके लिए एक ट्रांस महिला होकर वकील बनने का सफर.
प्रतिभा उम्र या जेंडर की मोहताज नहीं होती है। पढ़ा-लिखा काबिल व्यक्ति समाज में सदैव वर्चस्व अर्जित करता है। प्रतिभावान इंसान पर किसी भी हालात का कोई भी असर नहीं पड़ता। उसे सिर्फ अवसर अंर्तगत सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। ऐसे ही एक सफल और प्रतिभा के धनी व्यक्ति ने आज हर किसी को चुप करा दिया है, जो लोगों का किसी पैमाने पर आकलन करते हैं।
केरल को पहली ट्रांसजेंडर महिला वकील मिलने पर राज्य के उद्योग मंत्री पी राजीव ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर बधाई दी। उन्होंने पद्मा लक्ष्मी की एक फोटोग्राफर साझा करते हुए कैप्शन में लिखा पद्मा लक्ष्मी ने एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से स्नातक किया है। उन्होंने पोस्ट में एक युवा वकील के तौर पर खुद के लिए एक रास्ता बनाने के प्रयासों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने आगे कहा कि पद्मा लक्ष्मी ने ऐसे समाज से खुद को इस जगह पहुंचाया यह बेहद उत्साहजनक है।
मंत्री पी राजीव ने पोस्ट में कहा, ‘पद्म लक्ष्मी ने जीवन की सभी बाधाओं को पार किया और केरल में पहले ट्रांसजेंडर अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया। प्रथम बनना हमेशा इतिहास की सबसे कठिन उपलब्धि है। लक्ष्य के रास्ते में कोई पूर्ववर्ती नहीं हैं। बाधाएं अपरिहार्य होंगी। रास्ते में लोग मूक और हतोत्साहित होंगे। पद्मा लक्ष्मी ने इन सब पर काबू पाकर कानूनी इतिहास में अपना नाम लिखा है।’