केंद्र सरकार द्वारा लद्दाख के लिए घोषित नई आरक्षण और डोमिसाइल नीतियां लद्दाख के स्थानीय निवासियों को संवैधानिक सुरक्षा, रोजगार और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही हैं। इन नीतियों से कई सामाजिक, प्रशासनिक और राजनीतिक सवालों के जवाब मिलते हैं, जो अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख में उठ रहे थे। आइए इस पूरी नीति और इसके प्रभाव को सरल भाषा में समझते हैं:
नई नीतियों की मुख्य बातें:
1. आरक्षण नीति:
- 85% सरकारी नौकरियां लद्दाख के स्थानीय डोमिसाइल धारकों के लिए आरक्षित होंगी।
- EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए 10% आरक्षण यथावत रहेगा।
- महिलाओं के लिए 33% आरक्षण:
- लेह और कारगिल की Ladakh Autonomous Hill Development Councils (LAHDCs) में 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
- ये आरक्षण घूमता हुआ (rotational) होगा।
2. डोमिसाइल नीति:
👤 डोमिसाइल प्रमाणपत्र पाने के योग्य व्यक्ति:
- जो 15 साल या उससे अधिक समय से लद्दाख में रह रहे हों।
- जिन्होंने 7 साल तक पढ़ाई की हो और लद्दाख से 10वीं या 12वीं पास की हो।
- केंद्र सरकार/ अखिल भारतीय सेवाएं/ PSU/ बैंक/ केंद्रीय विश्वविद्यालय/ रिसर्च संस्थान में 10 साल तक लद्दाख में सेवा देने वाले कर्मियों के बच्चे भी पात्र।
📄 डोमिसाइल प्रमाणपत्र लद्दाख में सरकारी नौकरी के आवेदन के लिए आवश्यक होगा, जो अब Ladakh Civil Services Decentralisation and Recruitment (Amendment) Regulation, 2025 के तहत लागू है।
3. भाषा और संस्कृति की सुरक्षा:
- आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुर्गी।
- स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा: शिना (दर्दी), ब्रोकस्कट (दर्दी), बाल्टी और लद्दाखी को संरक्षित और विकसित करने के लिए विशेष योजना।
- सरकारी कामकाज में अंग्रेज़ी का प्रयोग पूर्ववत जारी रहेगा।
4. प्रशासनिक ढांचा मज़बूत किया गया:
🏞️ पांच नए जिले (अगस्त 2024):
- जांस्कर
- द्रास
- शम
- नुब्रा
- चांगथांग
इन जिलों के गठन से लद्दाख में प्रशासनिक पहुँच और विकास कार्यों में तीव्रता आएगी।
क्यों बनीं ये नीतियाँ?
- 2019 में अनुच्छेद 370 हटने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद स्थानीय लोगों में अपनी पहचान, भूमि, संस्कृति और रोज़गार को लेकर असुरक्षा की भावना थी।
- लद्दाख के प्रतिनिधियों और सिविल सोसाइटी ने संवैधानिक सुरक्षा की मांग की थी, जिसमें छठी अनुसूची, भूमि सुरक्षा, स्थानीय भर्ती आदि शामिल थे।
- सोनम वांगचुक जैसे कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में आंदोलन और जन दबाव के चलते सरकार को प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
महत्वपूर्ण घटनाक्रम:
तारीख | घटना |
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दिसंबर 2023 | गृह मंत्रालय ने लद्दाख प्रतिनिधियों को भरोसा दिया |
अक्टूबर 2024 | सोनम वांगचुक का दिल्ली में अनशन शुरू |
3 दिसंबर 2024, 15 जनवरी 2025, 27 मई 2025 | गृह मंत्रालय और लद्दाख सिविल सोसाइटी के बीच वार्ता |
2025 जून | केंद्र सरकार ने नीतियों की घोषणा की |
इन नीतियों का संभावित प्रभाव:
क्षेत्र | असर |
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रोज़गार | स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता, बेरोज़गारी में कमी |
सांस्कृतिक संरक्षण | भाषाई और परंपरागत पहचान को मजबूती |
महिला सशक्तिकरण | राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी |
प्रशासनिक सुधार | नई जिलों से ज़मीनी स्तर पर तेज़ विकास |
राजनीतिक संतुलन | जन असंतोष को संतुलित करने का प्रयास |
लद्दाख के लिए घोषित नई डोमिसाइल और आरक्षण नीतियाँ सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक आत्म-सम्मान की पुनर्स्थापना की दिशा में बड़ा प्रयास हैं। इससे लद्दाख के लोगों की बहुप्रतीक्षित मांगों को एक हद तक संबोधित किया गया है, हालांकि छठी अनुसूची की मांग जैसे मुद्दे अब भी लंबित हैं।