मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे शुरू हो गया है. 22 मार्च को सुबह 6:30 बजे एएसआई की टीम भोजशाला में दाखिल हुई. एएसआई टीम के पांच सदस्य यहां पहुंचे. इस कार्रवाई के मद्देनजर यहां भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है. यह सर्वे हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रहा है. इस सर्वे की सूचना 21 मार्च को आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के अपर महानिदेशक प्रो. आलोक त्रिपाठी ने स्थानीय प्रशासन को दी. पत्र में बताया कि हाई कोर्ट की खण्डपीठ इंदौर की याचिका क्र. 10497-2022 के परिपालन मे टीम 22 मार्च को धार पहुंचकर सर्वे करेगी.
- अभी चार याचिकाएं चल रही हैं। सर्वे आज सुबह 6 बजे शुरू हुआ। रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट को सौंपी जाएगी। अगली सुनवाई 29 अप्रैल को है: वकील श्रीश दुबे
- सर्वे का लगभग एक घंटा पूरा हो चुका है।
- फिलहाल यह तय किया जा रहा है कि किस तरह से सर्वे की प्रक्रिया को आगे जारी रखा जाएगा।
- शुक्रवार होने के कारण भोजशाला में मुस्लिम समाज को नमाज की अनुमति होती है।
- माना जा रहा है कि दोपहर 12 तक सर्वे का प्रथम चरण पूरा कर लिया जाएगा।
- दोपहर 1 से 3 बजे तक नमाज अदा होने के बाद फिर से सर्वे का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा।
पत्र में जिला कलेक्टर और एसपी को लिखा है, आपसे अनुरोध है कि जांच करने के लिए साइट तक सुरक्षित पहुंच प्रदान करें. प्रवास और काम के दौरान टीम को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें. कोर्ट के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ उत्तरदाताओं को भी उचित रूप से सूचित करें. वहीं पत्र की प्रतिलिपियां आयुक्त इंदौर संभाग, कलेक्टर धार, एसपी धार, संयुक्त महानिदेशक एएसआई नई दिल्ली, अधीक्षण पुरातत्वविद एएसआई भोपाल को भी दी गई हैं. इधर इस पत्र के मिलने के बाद कलेक्टर प्रियंक मिश्रा और एसपी मनोज कुमार सिंह ने भोजशाला का दौरा किया. चूंकि, 22 मार्च को शुक्रवार है. इस दिन इस स्मारक में मुस्लिम बड़ी संख्या मे जुमे की नमाज अदा कर करते हैं. इसलिए भी प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.
एएसआई की सर्वे टीम को हर सुविधा दी जाएगी- एसपी
इधर सर्वे होने से याचिकाकर्ता ने प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि यह सनातनियों की जीत है. सर्वे को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. एसपी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि एएसआई की टीम को हर तरह की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर्याप्त बल तैनात किया गया है. उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है.
मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर जताई आपत्ति
दूसरी ओर, एएसआई सर्वे पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है. मुस्लिम पक्ष के वकील अजय बगड़िया ने कहा कि हाई कोर्ट के नोटिस की कॉपी अभी तक मुस्लिम पक्ष को प्राप्त नहीं हुई है. अगर नोटिस मिल जाता तो इस कार्रवाई को निष्पक्ष कहा जा सकता था. नोटिस दोनों पक्षों को मिलना चाहिए. ताकि, दोनों अपनी बात प्रभावी ढंग से रख सकें. उन्होंने कहा कि यह सर्वे तब तक नहीं कराना चाहिए, जब तक दोनों पक्षों की मौके पर उपस्थित रहने की स्वीकृति नहीं मिलती. बगड़िया के मुताबिक, हाई कोर्ट का आदेश उस मामले में हुआ है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने पार्टी थे. इसलिए जरूरी है कि सर्वे के लिए दोनों पक्षों की स्वीकृति ली जाए. इस मामले में हम एएसआई को चिट्ठी लिखकर कहेंगे कि हमें इस मामले में नोटिस दिए बिना आप वहां सर्वेक्षण की कार्रवाई न करें. ताकि, हम वहां अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकें. नोटिस देने के बाद पर्याप्त समय भी दिया जाना चाहिए.
सदियों पुराना विवाद
भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं, जबकि अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। संगठन की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कोर्ट में कहा था कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं, वह साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।
हिंदुओं को यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है और यह अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एएसआइ को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। टीम को छह सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था। आदेश के 11 दिन बाद सर्वे शुरू हो रहा है। ऐसे में एएसआइ को सर्वे पूरा करने के लिए सिर्फ साढ़े चार सप्ताह मिलेंगे। उसे 29 अप्रैल को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
हर चल-अचल वस्तु की होगी जांच
11 मार्च 2024 को दिए आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर एएसआइ को लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए उसे कुछ अन्य जांच करनी है तो वह परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें कर सकता है। एएसआइ भोजशाला स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवारें, खंभों, फर्श की जांच करेगा। जांच में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। परिसर स्थित हर वस्तु की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि वह कितनी पुरानी है।
हाईकोर्ट ने भोजशाला का वैज्ञानिक सर्वे जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) व जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) से करने को कहा है। जीपीआर में लगे रडार से जमीन में छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तरों, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।
सर्वे में मिले थे विष्णु और कमल चिह्न
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया था कि वर्ष 1902-03 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। फोटोग्राफ के साथ रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत है। फोटोग्राफ में भगवान विष्णु और कमल चिह्न परिसर में स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है।