भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में बन रहा रेलवे ओवरब्रिज (ROB) इन दिनों अपने असामान्य डिजाइन को लेकर चर्चाओं में है। 18 करोड़ रुपये की लागत से लगभग पूरा हो चुका यह ओवरब्रिज 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा है, जो ऐशबाग स्टेडियम के पास से गुजरता है और आसपास के क्षेत्रों जैसे महामाई बाग, पुष्पा नगर और स्टेशन क्षेत्र के लोगों को सीधा संपर्क प्रदान करेगा। इसका निर्माण कार्य 21 मार्च 2023 को शुरू हुआ था, और इसका उद्देश्य था कि रेलवे फाटक बंद होने के कारण होने वाली असुविधा को खत्म करना और क्षेत्र की लगभग तीन लाख की आबादी को निर्बाध यातायात सुविधा उपलब्ध कराना। सरकार ने दावा किया था कि इस ओवरब्रिज से लोगों को रेलवे फाटक पर घंटों इंतजार या लंबा रास्ता अपनाने की समस्या से निजात मिलेगी।
हालांकि, यह ओवरब्रिज उस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जब इसकी एक तस्वीर सामने आई, जिसमें एक लगभग 90 डिग्री का तीखा मोड़ स्पष्ट दिख रहा था। स्थानीय नागरिकों और ट्रैफिक विशेषज्ञों ने इसे संभावित दुर्घटना क्षेत्र बताते हुए इसकी डिज़ाइन की आलोचना की। उनका कहना था कि इतने तीखे मोड़ पर वाहन चलाना खतरनाक हो सकता है, विशेषकर भारी वाहनों और तेज रफ्तार बाइकर्स के लिए। यह डिजाइन विशेष रूप से रात के समय और बारिश में हादसों को जन्म दे सकता है।
लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पहले इस डिजाइन का बचाव करते हुए कहा था कि यह मोड़ मजबूरी में बनाया गया क्योंकि नजदीक ही मेट्रो स्टेशन है और जमीन की उपलब्धता बहुत सीमित थी। लेकिन अब रेलवे ने अतिरिक्त जमीन देने की सहमति दे दी है, जिससे इस तीखे मोड़ को कम घुमावदार और सुरक्षित बनाया जा सकेगा। PWD के अनुसार, पुल की रेलिंग को तोड़कर उस हिस्से को चौड़ा किया जाएगा, जिससे वाहनों को मोड़ने के लिए अतिरिक्त 3 फीट जगह मिल सकेगी और ट्रैफिक संचालन ज्यादा सुरक्षित होगा।
इस घटना ने एक बार फिर शहरी ढांचे के निर्माण में प्रभावी समन्वय और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता को उजागर किया है। एक ओर जहां यह ओवरब्रिज क्षेत्रीय ट्रैफिक और यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है, वहीं इसके डिज़ाइन से जुड़ी शुरुआती लापरवाही प्रशासन की योजना-निर्माण प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। सरकार और संबंधित विभाग अब स्थिति को सुधारने की दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन यह घटनाक्रम स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसी भी सार्वजनिक निर्माण में स्थानीय उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और व्यवहारिकता को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।
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