मध्य प्रदेश के उज्जैन में लगी पंचांग पर आधारित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी साइबर हमले के कारण धीमी हो गई है। यह घड़ी यहां जीवाजीराव वेधशाला के निकट जंतर मंतर में 85 फुट ऊंचे टॉवर पर लगी हुई है। जीवाजीराव वेधशाला की देखभाल करने वाले महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि घड़ी के ऐप पर गुरुवार रात साइबर हमला किया गया। तिवारी ने कहा, “हमले के बाद घड़ी धीमी हो गई। राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है।”
लगभग एक सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृति और विज्ञान को समेटे हुए धार्मिक नगरी उज्जैन में लगाई गई विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का वर्चुअल लोकार्पण किया था और कई खूबियों को समेटे इस घड़ी की जमकर तारीफ भी की थी। अब इस विक्रमादित्य वैदिक घड़ी पर सायबर अटैक हो चुका है जिसकी जानकारी महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन ने खुद मीडिया को दी है।
महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि 29 फरवरी 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जीवाजीराव वेधशाला पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण किया गया था। उसी घड़ी के एप पर 7 मार्च 2024 की गुरुवार रात को सायबर अटैक हो चुका है। आपने बताया कि महाशिवरात्रि पर इस घड़ी का पूर्व घोषित ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी’ नाम से फ्री मोबाइल ऐप जारी करने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन गुरुवार रात से ही अचानक डिजिटल वैदिक क्लॉक पर ऐसा साइबर अटैक हुआ कि पहले इस वेबसाइट के अंदर का डाटा धीरे-धीरे गायब हुआ, उसके बाद जब वेबसाइट खुली तो अंदर का डाटा पूरी तरह गायब हो गया। आपने बताया कि इस सायबर अटैक की शिकायत नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज करवा दी गई है।
वैदिक घड़ी पर हुआ है डीडीओएस अटैक
इस वैदिक घड़ी को निर्मित करने वाले आरोह श्रीवास्तव का कहना है कि इस हमले को तकनीकी भाषा में डीडीओएस अटैक कहा जाता है। जिससे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के सर्वर की प्रोसेस धीमी हो रही है और आम लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। आरोह ने बताया कि हम ऐसे प्रयासों में जुटे हुए जिससे कि इस सायबर अटैक के कारण जो भी डाटा डैमेज हुआ है उसे रिकवर कर लिया जाए।
अनोखी है विक्रमादित्य वैदिक घड़ी
आरोह के अनुसार इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होने के कारण दुनिया में कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह दुनिया की पहली ऐसी डिजिटल वैदिक घड़ी है जो इंडियन स्टैंडर्ड टाइम भारतीय पंचांग और मुहूर्त की जानकारी देती है। इसको मोबाइल और टीवी पर भी सेट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का ऐप हिंदी, अंग्रेजी अन्य भारतीय व विदेशी भाषाओं में तैयार किया जा रहा था।
वैदिक घड़ी सुरक्षित ज्यादा नुकसान नहीं – तिवारी
महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि वैदिक घड़ी सुरक्षित है। घड़ी के लोकल सर्वर पर यह सायबर अटैक हुआ था इसलिए कोई दिक्कत नहीं है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को करप्ट करने की कोशिश की गई थी, जिससे वेबसाइट खोलने पर इसके प्रोग्राम गायब हो गए थे लेकिन टेक्निकल टीम इसके डाटा को बचाने में सफल रही। आपने बताया कि आज महाशिवरात्रि पर इसके एप्प की लांचिंग की जाना थी, लेकिन इस साइबर अटैक के कारण यह काम एक माह पिछड़ चुका है अब संभवत गुड़ी पड़वा पर इसकी लांचिंग हो पाएगी।
दुनिया की पहली वैदिक घड़ी क्यों है खास?
- यह घड़ी एक सूर्य उदय से दूसरे सूर्य उदय के बीच 30 घंटे का समय दिखाती है।
- इसमें भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के आधार पर 60 मिनट नहीं बल्कि 48 मिनट का एक घंटा तय किया गया है।
- साथ ही वैदिक समय के आधार पर ही यह घड़ी अलग-अलग मुहूर्त भी दिखाती है।
- इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) के साथ-साथ पंचांग और मुहूर्त की भी पूरी जानकारी देती है।
- इस घड़ी के टेक्नीशियन सुनील गुप्ता की मानें तो यह घड़ी पुराने समय में जैसे काल और समय की गणना होती थी, उसी आधार पर गणना करती है।
- 30 घंटे की वैदिक घड़ी वैदिक गणित के आधार पर काम करती है और घड़ी से मुहूर्त भी देख सकते हैं।
- इस घड़ी को मोबाइल ऐप से भी संचालित किया जा सकता है।
- यह घड़ी पूरी तरह डिजिटल है। आम घड़ियों की तरह सुई वाली नहीं है।
- इस घड़ी में ग्राफिक्स का भी इस्तेमाल किया गया है। हर घंटे में अलग-अलग तस्वीरें इस घड़ी में दिखाई देती है।