मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में शराबबंदी की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पहले चरण में 17 धार्मिक शहरों में शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है। यह कदम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में समाज में नशाखोरी की आदत और इससे उत्पन्न सामाजिक बुराइयों को रोकने की पहल के तहत उठाया गया है।
मुख्य घोषणाएँ और निर्णय:
- 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी:
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन धार्मिक स्थलों पर शराब की बिक्री परिवारों को बर्बाद कर रही थी। इन स्थानों पर शराब की दुकानें बंद करके सरकार ने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने का प्रयास किया है। - घोषणा का स्थान और मकसद:
- मुख्यमंत्री ने यह घोषणा नरसिंहपुर में की।
- उन्होंने कहा कि नशे की वजह से परिवार और समाज पर बुरा असर पड़ता है, और इसे रोकने के लिए यह बड़ा कदम जरूरी था।
- लक्षित धार्मिक स्थल और कस्बे:
निम्नलिखित 17 स्थानों को पहले चरण में चुना गया है, जहाँ शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होगा:- महाकाल की नगरी उज्जैन
- ओंकारेश्वर और महेश्वर (नर्मदा तट के प्राचीन मंदिर)
- राम राजा मंदिर, ओरछा (जिला निवाड़ी)
- मैहर शारदा मंदिर
- सलकनपुर बीजासन मंदिर, जिला सीहोर
- जानापाव, जिला इंदौर
- पीतांबरा पीठ, जिला दतिया
- नलखेड़ा, जिला आगर मालवा
- महेश्वर, जिला खरगोन
- पशुपतिनाथ मंदिर, जिला मंदसौर
- मां नर्मदा का उद्गम स्थल, अमरकंटक
- मंडला नर्मदा घाट
- मुलताई (ताप्ती नदी का उद्गम स्थल)
- जबलपुर (संस्कारधानी नर्मदा घाट)
- चित्रकूट (राम घाट)
- बरमान नर्मदाघाट
- पन्ना (जुगलकिशोर मंदिर)
आगे की योजना:
मुख्यमंत्री ने संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में पूरे राज्य में शराबबंदी लागू करने की योजना बनाई जा रही है। हालाँकि, इसके लिए सरकार चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगी ताकि समाज पर इसका सकारात्मक असर हो सके और अवैध शराब के व्यापार को रोकने के लिए सख्त व्यवस्था की जा सके।
अन्य राज्यों से तुलना:
- बिहार का मॉडल:
- बिहार में 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी, लेकिन अभी भी वहाँ अवैध शराब की समस्या और जहरीली शराब के मामले सामने आते रहते हैं।
- गुजरात का मॉडल:
- गुजरात में शुरुआत से ही शराबबंदी लागू है और इसे सख्ती से लागू करने के कारण यह मॉडल अधिक सफल माना जाता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
यह कदम धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने और नशा मुक्त समाज की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार को अवैध शराब की बिक्री और तस्करी पर कड़ी निगरानी रखनी होगी।
यह निर्णय राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के साथ-साथ नशामुक्त समाज बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।