मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राजधानी भोपाल के अटल पथ पर आयोजित भव्य “योग संगम” कार्यक्रम में भाग लेकर सामूहिक योगाभ्यास किया। इस मौके पर उन्होंने योग के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैश्विक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और इसे भारत की सनातन परंपरा का दिव्य प्रसाद बताया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित हजारों नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा,
“मैं इस ऐतिहासिक दिन पर सभी प्रदेशवासियों और देशवासियों को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत ही नहीं, पूरी दुनिया योग की शक्ति से परिचित हो रही है। भारत का प्राचीन ज्ञान, विज्ञान और जीवनशैली अब वैश्विक स्तर पर सम्मान पा रही है।”
स्वास्थ्य, सफलता एवं समरसता का आधार है योग..
11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज प्रदेश भाजपा कार्यालय, भोपाल में योगाभ्यास कार्यक्रम में सहभागिता कर विचार साझा किए।
इस अवसर पर आदरणीय राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री श्री शिव प्रकाश जी, प्रदेश अध्यक्ष श्री वीडी शर्मा जी,… pic.twitter.com/5z0o8JMkVP
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 21, 2025
योग: चेतना और परम चेतना का संगम
सीएम मोहन यादव ने योग को केवल शारीरिक क्रिया न मानते हुए उसे एक “दिव्य अवस्था” बताया। उन्होंने कहा कि योग वह स्थिति है जहां चेतना और परम चेतना का मिलन होता है। यह केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम नहीं, बल्कि मानव जीवन की उच्चतम अवस्था तक पहुँचने का मार्ग है।
“योग सनातन हिन्दू धर्म और संस्कृति का सम्पूर्ण मानवता को दिया गया अमूल्य उपहार है। यह धर्म, जाति और रंग की सीमाओं से परे है। यह एक ऐसा मार्ग है जो सभी के लिए समान रूप से खुला है, और यही इसकी वैश्विक स्वीकृति का आधार है।”
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: भारत का वैश्विक संदेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूरा विश्व योग कर रहा है, और यह भारत के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने कहा कि योग न केवल शरीर और मन को शांति देता है, बल्कि अंतर्मन में करुणा, दया और मैत्री जैसे गुणों को विकसित करता है।
“योग दिवस सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि विश्व मानवता को परम चेतना की ओर जागरूक करने का क्रांतिकारी कदम है। आज हम इस अलौकिक समय के साक्षी हैं, जहां भारत की योग परंपरा एक वैश्विक आंदोलन बन चुकी है।”
योग: शांति, एकाग्रता और संतुलन का आधार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि योग का सबसे बड़ा उपहार शांति है। उन्होंने कहा,
“अशांत मन और अनियंत्रित तन केवल व्यक्ति ही नहीं, समाज को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। योग उस द्वार की तरह है जो शांति, एकाग्रता और संतुलन की ओर खुलता है। जब मन केवल न्याय और धर्म के साथ हो, तो वह परम चेतना की ओर अग्रसर होता है।”
उन्होंने कहा कि यह स्थिति केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी मानव समाज के लिए अनिवार्य है, चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या देश का हो। योग वह सूत्र है जो पूरे विश्व को जोड़ता है।
मुख्यमंत्री का यह संबोधन केवल योग के महत्व की चर्चा नहीं था, बल्कि यह एक दृष्टिकोण था – जिसमें योग को एक सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ा, वैज्ञानिक और वैश्विक चेतना से युक्त साधन के रूप में प्रस्तुत किया गया। आज जब विश्व अनेक स्तरों पर तनाव, अशांति और असंतुलन से जूझ रहा है, तो ऐसे समय में भोपाल से दिया गया यह संदेश—योग ही समाधान है—एक प्रासंगिक और प्रेरणादायक उद्घोष बनकर सामने आया।
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