मध्य प्रदेश के सभी स्कूलों में, गुरु पूर्णिमा के मौके पर 2 दिन तक उत्सव मनाया जाएगा। सीएम मोहन यादव ने आदेश जारी कर कहा कि अब स्कूलों में दो दिनों तक गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। स्कूलों के अलावा राज्य के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में भी पहली बार गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाएगा, जिसमें आमजन और साधु-संत शामिल होंगे। 20 जुलाई को स्कूल कॉलेज में प्रार्थना सभा, गुरु शिष्य संस्कृति पर प्रकाश और निबंध लेखन का आयोजन होगा। जबकि दूसरे दिन 21 जुलाई को सरस्वती वंदना, गुरु वंदना, गुरुजनों और शिक्षकों का सम्मान के साथ गुरु-शिष्य परंपरा पर संभाषण भी होगा। सुबह की प्रार्थना के बाद शिक्षक इस परंपरा और गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में छात्रों को विस्तार से बताएंगे। शिक्षक और छात्र दोनों अपने आपसी संबंधों पर प्रकाश डालने वाली व्यक्तिगत कहानियां सुनाएंगे। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। उनसे मिले ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका आदर-सम्मान करते हैं।
विपक्षी दल ने फैसले पर जताया विरोध
हालाँकि, विपक्षी कांग्रेस ने स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देश का विरोध करते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ है, जो संविधान का अभिन्न अंग है। राज्य कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हाफिज ने कहा, “भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहाँ सभी धार्मिक समुदायों के छात्र स्कूल और कॉलेजों में पढ़ते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “इसलिए स्कूलों में किसी एक धर्म से जुड़ी कोई नई परंपरा शुरू करने से विवाद पैदा हो सकता है। अगर एक धर्म से जुड़ी परंपरा को सभी के लिए अनिवार्य कर दिया जाता है तो दूसरे समुदायों के छात्र अपनी परंपराओं से जुड़े कार्यक्रम शुरू करने की माँग कर सकते हैं।”
कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने ही महाभारत की रचना की थी और वेदों का वर्गीकरण किया था। इसके अलावा, गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध ने सबसे पहले अपने पाँच शिष्यों को दिया था। ये सभी ब्राह्मण थे और सिद्धार्थ को पहले से जानते थे। इसे हिंदुओं के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म लोगों द्वारा श्रद्धा से मनाया जाता है।
फैसले को उप मुख्यमंत्री ने बताया बिल्कुल सही
इधर, मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से बात करते हुए कहा कि इस फैसले पर कांग्रेस की आपत्ति गलत है। हमारी सरकार हिंदू और मुसलमान में कभी भेदभाव नहीं करती है। स्कूलों में मिड-डे मील हिन्दू-मुसलमान दोनों को मिलता है। हमने ये फैसला गुरु के सम्मान में लिया है। इसमें आपत्ति होना ही नहीं चाहिए। गुरु-शिष्य का नाता सबसे ऊपर है। गुरु का सम्मान होना ही चाहिए इसलिए सरकार ने जो फैसला लिया है, वह बिल्कुल सही है।
नेता प्रतिपक्ष ने फैसले का किया विरोध
मामले को लेकर जब नेत प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से बात की तो उन्होंने कहा कि उमंग सामाजिक और धार्मिक असमानताएं नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार भारतीय सरकार पहल करती है तो बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। उनके करियर के बारे में सोचना चाहिए। कैसे स्कूल मजबूत हो, कैसे एक्सीलेंस वाले स्कूल हो, उस पर विचार करना नहीं चाहिए। इस प्रकार के आदेश जारी करके बच्चों में भेदभाव किया जा रहा है, मैं इसकी निंदा करता हूं। यह चुनाव धर्म के नाम पर लड़ते आए हैं। अयोध्या में भी यही हुआ है, देश के लोग समझते हैं। यह धार्मिक उन्माद और धार्मिक भावनाओं से देश नहीं चलेगा। आखिर संविधान की रक्षा की बात है।