विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने बड़वानी में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस गंभीर बीमारी के उन्मूलन के लिए समाज की सामूहिक भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिकल सेल जैसी आनुवंशिक बीमारी को समाप्त करने के लिए सभी वर्गों के विश्वास, सहयोग और प्रयास आवश्यक हैं। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर से वर्चुअल माध्यम से जुड़कर प्रदेश में चल रही सिकल सेल उन्मूलन गतिविधियों की जानकारी दी, जबकि उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का प्रदेशवासियों के लिए भेजा गया संदेश पढ़कर सुनाया।
LIVE: तलुन खेल मैदान, बड़वानी में विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहभागिता https://t.co/TqC4XPg7EJ
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 19, 2025
राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनजातीय समुदाय के कल्याण और सशक्तिकरण का स्वर्णिम युग चल रहा है और भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन 2047 इसी का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि सिकल सेल को मात देने के लिए विवाह से पूर्व युवक-युवती को जेनेटिक कार्ड का मिलान, गर्भावस्था में सिकल सेल परीक्षण, और नवजात की जन्म के 72 घंटे के भीतर जांच अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने पीड़ितों से अपील की कि वे नियमित व्यायाम करें, संतुलित आहार लें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लें।
सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत की ओर मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम…
विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी के मुख्य आतिथ्य में बड़वानी में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में इंदौर से वर्चुअल माध्यम से सहभागिता की।
यशस्वी प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी… pic.twitter.com/7dg5HTQM4d
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में बताया कि प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 6 लाख से अधिक नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा में विवाह से पूर्व कुंडली मिलान होता है, अब समय आ गया है कि उसी तरह ‘सिकल सेल जेनेटिक कार्ड’ का भी मिलान किया जाए, ताकि इस बीमारी की पहचान पहले ही हो जाए और इसके प्रभाव को रोका जा सके। डॉ. यादव ने कहा कि यह केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है, जो विशेष रूप से जनजातीय समाज को प्रभावित कर रही है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन के तहत प्रदेश में स्क्रीनिंग, रोग प्रबंधन, परामर्श और जन-जागरूकता जैसे चार प्रमुख क्षेत्रों में कार्य हो रहा है। राज्यपाल मंगूभाई पटेल की अगुवाई में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया, जिससे जनजातीय क्षेत्र के लोगों को लाभ मिला है। उन्होंने इस बीमारी के दुष्प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित लोगों की रक्त कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे शारीरिक क्षमताओं पर प्रभाव पड़ता है और यह बीमारी पीढ़ियों तक बनी रहती है। यह समस्या न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी दीर्घकालिक असर डालती है।
हमने 9 वर्ष से लंबित शासकीय कर्मचारियों-अधिकारियों की पदोन्नति का रास्ता साफ किया है, जिससे युवाओं को भी शासकीय सेवा में 2 लाख अवसर मिलेंगे। pic.twitter.com/yEanFCGajO
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राज्य स्तरीय सम्मेलन में यह स्पष्ट किया गया कि यदि सरकार और समाज मिलकर कार्य करें, तो साल 2047 तक भारत को सिकल सेल मुक्त बनाया जा सकता है। यह केवल स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का एक अहम अभियान बन चुका है।
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