भोपाल यूनियन कार्बाइड जहरीले कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से पीथमपुर भेजे गए जहरीले कचरे को शुक्रवार सुबह 10 बजे से जलाने की प्रक्रिया शुरू की गई। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत इस कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री में तीन चरणों में इसका ट्रायल किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
✅ कचरा निपटान की प्रक्रिया – भोपाल से आए 12 कंटेनर में रखे विषैले रसायनों का तीन चरणों में निस्तारण।
✅ पहला ट्रायल (27 फरवरी से) – 10 टन कचरा जलाया जाएगा, जिसकी अवधि 72 घंटे होगी।
✅ दूसरा ट्रायल (4 मार्च) और तीसरा ट्रायल (10 मार्च) – प्रत्येक में 10 टन कचरा जलाया जाएगा।
✅ कचरा जलाने की तकनीक – 800 से 900 डिग्री सेल्सियस तापमान पर कचरे को इंसीनेटर में जलाया जाएगा।
✅ सुरक्षा मानक – कर्मचारियों को मास्क, गॉगल्स और ग्लव्स दिए गए, प्रदूषण नियंत्रण के लिए गैस क्लीनिंग सिस्टम अपनाया गया।
✅ अंतिम निस्तारण – कचरा जलाने से बनी राख को लैंडफिल साइट पर स्टेबलाइज कर सुरक्षित रूप से दफनाया जाएगा।
क्या है इंसीनेटर प्रक्रिया?
🔹 पहले चरण में 10 टन कचरे को नियंत्रित तापमान पर जलाया जाएगा।
🔹 मल्टी साइक्लोन, स्प्रे ड्रायर, ड्राई स्क्रबर, वेट फिल्टर और वेट स्क्रबर से गुजरते हुए गैस क्लीनिंग की जाएगी।
🔹 सॉलिड पार्टिकल्स को स्टेबलाइज कर लैंडफिल में डंप किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी (1984) के बाद भोपाल में जहरीला कचरा जमा था, जिसे पर्यावरणीय और स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित रूप से नष्ट करने की प्रक्रिया अब अपनाई जा रही है। पिछली बार 90 टन कचरे का ट्रायल किया गया था।
भोपाल गैस त्रासदी के कचरे का सुरक्षित निपटान एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके पर्यावरणीय प्रभावों की निगरानी भी ज़रूरी होगी। क्या आपको लगता है कि यह प्रक्रिया सही दिशा में उठाया गया कदम है, या कोई और वैकल्पिक उपाय अपनाने चाहिए?