विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए जन-जागरूकता का आह्वान किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 5 जून का दिन विशेष है क्योंकि यह विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा दोनों ही है, जो भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान को राज्य सरकार पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ाएगी। मुख्यमंत्री ने भारतीय परंपरा की ओर संकेत करते हुए कहा कि एक वृक्ष को सौ पुत्रों के बराबर माना गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण को कितना ऊँचा स्थान प्राप्त है।
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हमने ‘नेट ज़ीरो एमीशन’ का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट तक पहुँचाने की योजना बनाई गई है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए स्वच्छ ऊर्जा, जल संरक्षण और प्लास्टिक प्रदूषण उन्मूलन जैसे कदमों पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने इस वर्ष के पर्यावरण दिवस की थीम “प्लास्टिक प्रदूषण उन्मूलन” को अत्यंत प्रासंगिक बताया और कहा कि यह न केवल वैश्विक, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी गंभीर चिंता का विषय है।
इस अवसर पर उन्होंने एकीकृत पर्यावरण प्रबंधन पोर्टल का शुभारंभ किया और वेटलैंड एटलस का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने सिंदूर, रक्त चंदन और आँवले के पौधों का रोपण कर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का राज्य स्तर पर शुभारंभ किया। इसके साथ ही चार पीएचडी छात्रों को पर्यावरण छात्रवृत्ति और कई विद्यालयों तथा संस्थानों को मध्यप्रदेश वार्षिक पर्यावरण पुरस्कार प्रदान किए गए। उन्होंने भारतीय जीवनशैली में पहले से विद्यमान री-यूज और रिसाइक्लिंग की परंपराओं को आधुनिक पर्यावरणीय चिंताओं का समाधान बताया।
डॉ. यादव ने जगदीशचंद्र बोस के वैज्ञानिक शोधों की चर्चा करते हुए बताया कि उन्होंने पौधों में जीवन होने का वैज्ञानिक प्रमाण दिया था, जबकि भारतीय संस्कृति में यह ज्ञान सदियों से विद्यमान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक 75,000 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण हो चुका है, 95,500 कुओं को रिचार्ज किया गया है और 1225 अमृत सरोवरों का जीर्णोद्धार किया गया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि विश्व का पहला नदी जोड़ो अभियान भी मध्यप्रदेश में ही चलाया जा रहा है, जिससे सिंचाई क्षेत्रफल में भारी वृद्धि हुई है—जो 2002-03 में केवल 7 लाख हेक्टेयर था, अब वह 55 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है।
मुख्यमंत्री ने केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उन्हें राज्यों के बीच जल-बंटवारे का सफल समाधान बताया। उन्होंने ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना को विश्व का अनूठा प्रयोग करार दिया, जिससे 2 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में उदारता का भाव है, इसलिए यदि कोई राज्य अधिक जल संसाधन प्राप्त कर लेता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं।
कार्यक्रम में खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश जल, जंगल, जमीन और विकास के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ रहा है। पर्यावरण मंत्री दिलीप अहिरवार ने भी पर्यावरण संरक्षण को देश और दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती बताया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 2022-23 और 2023-24 के लिए विभिन्न श्रेणियों में मध्य प्रदेश वार्षिक पर्यावरण पुरस्कार भी वितरित किए। इनमें अत्यंत प्रदूषणकारी उद्योगों, सामान्य उद्योगों, लघु उद्योगों, नगर निगमों, नगर पालिकाओं, चिकित्सालयों, एनजीओ और विद्यालयों को उनकी पर्यावरणीय पहल के लिए सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में लूपिन लिमिटेड मंडीदीप, जेके टायर मुरैना, सूर्या रोशनी भिंड, नर्मदा समग्र न्यास भोपाल, शिशुकुंज स्कूल इंदौर जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
इस कार्यक्रम ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण को लेकर गहरी जागरूकता और जन-सहभागिता की नींव को और मजबूत किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में यह संदेश स्पष्ट हो गया है कि पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्यों और तकनीकी नवाचारों का समन्वय ही प्रदेश को सतत विकास की ओर अग्रसर करेगा।